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अलर्ट!1 फरवरी से महंगा हो सकता है रेल का सफर, इतने फीसदी तक बढ़ सकता है किराया

रेलवे सबअर्बन ट्रेनों से लेकर मेल/एक्सप्रेस (Mail/Express) के हर क्लास के टिकटों के दामों में बढ़ोतरी करने जा रहा है.

Updated on: 10 Dec 2019, 06:41 PM

नई दिल्‍ली:

देश के आम नागरिकों को मोदी सरकार (Modi Government) से महंगाई (Inflation) की एक और मार पड़ने वाली है. भारतीय रेलवे (Indian Railway) आने वाले कुछ ही दिनों में किराया बढ़ाने वाला है. रेलवे बोर्ड को किराये में बढ़ोत्तरी के लिए अनुमति भी मिल चुकी है. इसके लिए रेल अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श शुरू हो गए हैं. मीडिया में आईं खबरों की मानें रेलवे सबअर्बन ट्रेनों से लेकर मेल/एक्सप्रेस (Mail/Express) के हर क्लास के टिकटों के दामों में बढ़ोतरी करने जा रहा है. किराए में यह बढ़ोतरी 5 पैसे प्रति किलोमीटर से लेकर 40 पैसे प्रति किलोमीटर तक हो सकती है. इस तरह से रेलवे के हर क्लास के किराये में 15 से 20 फीसदी तक इजाफा हो जाएगा.

आपको बता दें कि रेलवे दिसंबर के अंत तक देश की जनता को रेलवे के इस फैसले की जानकारी दे सकता है और बढ़े हुए किराये का एलान कर सकती है जबकि एक फरवरी साल 2020 से बढ़ा हुआ किराया लागू करने का ऐलान कर सकता है. आपको बता दें कि साल 2014 में भी जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी तब भी रेलवे ने किराये में करीब 15 फीसदी की बढ़ोत्तरी की थी. आपको बता दें कि मौजूदा समय में रेलवे में लागत से औसतन 43 फीसदी कम किराया वसूला जाता है.

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इतने घाटे में चल रही है रेलवे
रेल किराये में बढ़ोतरी को लेकर अगर अलग-अलग क्लास की बात करें तो रेलवे को सब अर्बन ट्रेनों के किराये पर लगभग 64 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ रहा है. जबकि नॉन सब अर्बन ट्रेन के सवारी डिब्बों पर कुल 40 प्रतिशत का नुकसान उठाना हो रहा है. वहीं फर्स्ट एसी पर लगभग 24 प्रतिशत का नुकसान, सेकेंड एसी पर लगभग 27 प्रतिशत नुकसान, स्लीपर क्लास से क़रीब 34 प्रतिशत का नुकसान और चेयर कार से तकरीबन 16 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं आपको बता दें कि रेलवे को केवल एसी 3 क्लास के सवारियों को ढोने में फायदा होता है जो कि लगभग 7 प्रतिशत का फायदा है. इसी सप्ताह कैग ने अपनी रिपोर्ट में रेलवे के आर्थिक हालात पर चिंता जताई थी.

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रेलवे ने 66 प्रतिशत तक घटाए नेट रेवेन्यू सरप्लस
कैग इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे का नेट रेवेन्यू सरप्लस 66 प्रतिशत तक गिर गया है. साल 2016-17 में यह रेवेन्यू सरप्लस 4913 करोड़ रुपये था जबकि साल 2017-18 में यह घटकर 1665.61 करोड़ रुपये के करीब हो गया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रेलवे की अपनी कमाई भी 3 प्रतिशत कम हो गई जिसकी वजह से ग्रॉस बजटरी सपोर्ट पर इसकी निर्भरता बढ़ गई. कैग के मुताबिक रेलवे के ऑपरेटिंग रेशियो 98.44 हो गया. यानि 100 रुपये कमाने के लिए उसे 98 रुपये से ज़्यादा रकम खर्च करनी पड़ रही है. यानि कैग रिपोर्ट भी रेलवे के किराये में बढ़ोत्तरी की ज़रूरत को बढ़ा रहा है.