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मोदी सरकार पाकिस्तान-चीन से एक साथ निपटेगी, P8i होगा नौसेना में शामिल

भारत अमेरिका से पी8 समुद्री सर्वेक्षण विमान खरीदने की योजना बना रहा है. इससे समुद्री क्षेत्र में भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ जाएगी.

Updated on: 07 Sep 2019, 06:48 AM

highlights

  • भारत अमेरिका से 22 करोड़ में खरीदेगा P8i विमान.
  • इनसे चीन-पाकिस्तान पर नजर रखना होगा आसान.
  • हिंद महासागर में चीन दे राह विस्तारवादी नीति का परिचय.

नई दिल्ली:

मोदी सरकार अब हिंद महासागर में चीन की हरकतों पर नजर रखने के लिए भारतीय नौसेना को और मजबूत बनाने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाने जा रही है. इसके तहत भारत अमेरिका से पी8 समुद्री सर्वेक्षण विमान खरीदने की योजना बना रहा है. इससे समुद्री क्षेत्र में भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ जाएगी. इसके बलबूते भारतीय नौसेना चीन की हरकतों पर कड़ी नजर रख सकेगी. इसके साथ ही पाकिस्‍तान पर भी नजर रख उस पर समय रहते लगाम कसी जा सकेगी.

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कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा प्रस्ताव
अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्‍स की रिपोर्ट के अनुसार, अगले सप्‍ताह होने वाली कैबिनेट बैठक में इस प्रस्‍ताव को रखा जा सकता है. बैठक में इसे मंजूरी भी मिल सकती है. विदेशी सैन्‍य बिक्री के तहत पी8 समुद्री सर्वेक्षण विमान की खरीदारी की जा सकती है. इस सौदे की कीमत 22 करोड़ रुपये के लगभग बताई जा रही है.

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फिलहाल बोइंग पी8 पर हैं निर्भर
गौरतलब है कि भारतीय नौसेना के पास अभी 12 बोइंग पी8 समुद्री गश्‍ती विमान हैं, जिनसे समुद्र की निगरानी हो रही है. हालांकि बढ़ते समुद्री खतरे को देखते हुए और अधिक संख्या में विमानों की तैनाती की जरूरत है. अगर भारत और अमेरिका के बीच यह सौदा होता है, तो इसमें 30 फीसदी ऑफसेट क्‍लॉज अनिवार्य होगा. इसका मतलब निर्माण कार्य का 30 फीसदी कार्य भारतीय कंपनियां करेंगी. अगर सौदे के तहत 10 पी8 समुद्री गश्‍ती विमान नौसेना बेड़े में शामिल हो जाएंगे तो भारत के पास पी8 आई विमानों की कुल क्षमता 22 हो जाएगी.

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रक्षा मंत्री भी हैं सहमत
ज्ञात हो का अगस्त महीने में ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद ने भारतीय नौसेना के लिए स्वदेश निर्मित 'सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो' और 'नेक्स्ट जनरेशन मैरीटाइम मोबाइल कोस्टल बैटरीज' की खरीद को मंजूरी दी थी. इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि डीएसी ने रक्षा खरीद प्रक्रिया 2016 में संशोधनों को भी मंजूरी दे दी जिससे भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान के लिए उपकरणों की खरीद में आसानी हो सके.