बालाकोट स्ट्राइक के बाद भारतीय नौसेना भी पाकिस्तान पर हमले के लिए थी बिल्कुल तैयार
सीआरपीएफ के काफिले पर पुलवामा में हुए आत्मघाती आतंकी हमले के बाद भारतीय नौसेना को न सिर्फ अभ्यास से हटा लिया गया था, बल्कि परंपरागत और परमणु हमले में सक्षम पनडुब्बियों को पाकिस्तानी समुद्री सीमा के निकट तैनात भी कर दिया गया था.
highlights
- पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीय नौसेना भी थी सर्जिकल स्ट्राइक को तैयार.
- 60 से अधिक युद्धपोत और पनडुब्बियों की सामरित तैनाती भी हो गई थी.
- विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य भी खुले पानी में आया था उतर.
नई दिल्ली.:
सीआरपीएफ के काफिले पर पुलवामा में हुए आत्मघाती आतंकी हमले के बाद भारतीय नौसेना को न सिर्फ अभ्यास से हटा लिया गया था, बल्कि परंपरागत और परमणु हमले में सक्षम पनडुब्बियों को पाकिस्तानी समुद्री सीमा के निकट तैनात भी कर दिया गया था. भारत के आक्रामक तेवर और भारतीय नौसेना की तैनाती को देखते हुए पाकिस्तान को लग रहा था कि केंद्र की मोदी सरकार किसी भी क्षण आतंकी हमले में मारे गए 40 से अधिक शहीद जवानों का बदला लेने का आदेश दे सकती है.
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पाक पनडुब्बी पीएनएस साद पर थी खास नजर
यही नहीं, भारत लगातार पाकिस्तानी सेना के मूवमेंट पर नजर रख रहा था. हालांकि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी केंद्र बालाकोट पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की अत्याधुनिक अगोस्टा क्लास पनडुब्बी-पीएनएस साद के अपने समद्री क्षेत्र से अचानक गायब होने से भारतीय नौसेना के उच्चाधिकारियों के पेशानी पर भी बल पड़ गए थे. पाकिस्तान की यह अत्याधुनिक पनडुब्बी एयर इंडीपेंडेंट प्रोपल्शन तकनीक से लैस है यानी इस तकनीक के बलबूते पीएनएस साद सामान्य पनडुब्बियों की तुलना में गहरे पानी में कहीं अधिक लंबे समय तक रह सकती है.
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भारतीय नौसेना थी जवाब देवे को तैयार
भारतीय नौसेना के मुताबिक पीएनएस साद पनडुब्बी कराची के पास से गायब हुई थी. वहां से पीएनएस साद को गुजरात के तट तक पहुंचने में तीन दिन और भारतीय नौसेना के पश्चिमी कमांड यानी मुंबई तक पहुंचने में महज पांच दिन लगते. एक तरह से पीएनएस साद का इस तरह से अचानक गायब हो जाना भारतीय सीमा की सुरक्षा के लिहाज से एक गंभीर खतरा था. इसके मद्देनजर पनडुब्बी रोधी युद्ध में दक्ष युद्धपोत की सामरिक लिहाज से महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनाती के साथ ही हवाई जहाज की मदद से इसकी खोज-खबर लेने का काम शुरू किया गया था.
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पाकिस्तान भी गया था डर
भारतीय नौसेना का उस वक्त सिर्फ एक ही मकसद था कि वह हर तरीका अपनाया जाए ताकि यदि पीएनएस साद भारतीय समुद्री सीमा पर प्रवेश कर चुकी है, तो उसे ऊपर आने को मजबूर किया जा सका. इस बीच भारतीय नौसेना को यह भी यकीन हो गया था कि पाकिस्तान ने इसे कहीं सुरक्षित स्थान पर छिपा दिया है. यह अलग बात है कि 21 दिनों तक चले गहन खोज अभियान के बाद इस अत्याधुनिक पनडुब्बी को पश्चिमी पाकिस्तान सीमा के पास पाया गया था. पाकिस्तान ने संभवतः पीएनएस साद को इस संभावना के साथ छिपाया था कि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने या सीमित युद्ध की नौबत आने पर इसका समुचित उपयोग किया जा सका.
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आईएनएस विक्रमादित्य भी था रक्षा को तत्पर
यह अलग बात है कि भारतीय नौसेना अरब सागर में गहराई तक निगाह रखे हुए थी. खासकर पाकिस्तान जल क्षेत्र में. भारत पाकिस्तान की समग्र नौसैनिक गतिविधियों से पूरी तरह से परिचित था. यही वजह है कि तनाव बढ़ते ही भारत ने नौसेना ने 60 युद्धपोतों को सामरिक ठिकानों पर तैनात कर दिया था. इसमें विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य को उसके पूरे सैन्य साज-ओ-सामान के साथ तैयार रहने का अलर्ट जारी कर दिया था. नभ, थल और जल में भारतीय नौसेना की मजबूती देख पाकिस्तान ने अपनी नौसेना को मकरान के पास ही तैनात रखा था. वह खुले पानी में अपनी नौसेना को लेकर नहीं आया.
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