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इंडियन मुजाहिदीन ने भारत को दहलाने के लिए नेपाल को बनाया अड्डा, लश्कर, जैश से मिलाया हाथ

अमेरिकी विदेशी विभाग ने ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म 2018’ जारी कर आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) को लेकर बड़ा खुलासा किया है

Updated on: 06 Nov 2019, 10:43 AM

नई दिल्ली:

अमेरिकी विदेशी विभाग ने ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म 2018’ जारी कर आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) को लेकर बड़ा खुलासा किया है. 1 नवंबर को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, आईएम ने भारत के खिलाफ आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए नेपाल को अपना सबसे बड़ा अड्डा बना लिया है. साथ ही उसने पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हरकत उल-जिदाही इस्लामी से भी हाथ मिला लिया है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएम का पहला लक्ष्य भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देना है. इसी के तहत उसने अपना दायरा बढ़ाते हुए भारत के पड़ोसी देश नेपाल को अपना सबसे बड़ा केंद्र बना लिया है. इसके लिए उसे पाकिस्तान समेत मिडिल ईस्ट (पश्चिम एशिया) देशों से फंड भी मिलता है. बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों ने 2018 में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों को तबाह और परास्त करने के लिए जबरदस्त प्रयास किए.

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साथ में, उन्होंने सीरिया और इराक में पहले से मौजूद लगभग सभी क्षेत्रों को मुक्त कर दिया. 110,000 वर्ग किलोमीटर और लगभग 7.7 मिलियन पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मुक्त किया. ISIS का क्रूर शासन इन सफलताओं ने 2019 में तथाकथित "खिलाफत" के अंतिम विनाश के लिए मंच तैयार किया. उसी समय, संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों ने विश्व स्तर पर अल-क़ायदा (AQ) का पीछा करना जारी रखा और संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान समर्थित आतंकवाद पर अधिकतम दबाव लागू किया. ईरानी राज्य अभिनेताओं और प्रॉक्सी पर प्रतिबंधों का काफी विस्तार किया और अंतर्राष्ट्रीय निर्माण किया.

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भारत को दहलाने के लिए देश से सटे नेपाल को पनाहगार बना लिया है. आईएम भारत में 2005 से बम ब्लास्ट की घटनाओं को अंजाम देता आ रहा है. जिसमें सैकड़ों लोगों की जानें गई हैं. फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन (एफटीओ) ने आईएम को 11 सितंबर 2011 में अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित किया था. नेपाल में अब तक किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन ने कोई हमला नहीं किया है. यही कारण है कि उसे अभी तक आतंकी गतिविधियों को लेकर किसी प्रकार का कोई आभास भी नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकियों को फंडिंग, भर्ती और उनकी ट्रेनिंग रोकने में नाकाम रहा है. अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के लिए पाकिस्तान सुरक्षित पनाहगार है.