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देश के 8 बड़े IITs में शिक्षकों के 36 फीसदी पद खाली, बीएचयू की हालत सबसे ज्यादा खराब

आईआईटी बीएचयू की हालत सबसे ज्यादा खराब है जहां कुल 5,485 छात्र हैं. यहां 548 अनुमोदित पद होने पर सिर्फ 265 फैकल्टी सदस्य हैं. यानी कि 52 फीसदी पोस्ट खाली हैं.

Updated on: 02 Dec 2018, 08:41 PM

नई दिल्ली:

देश में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) को सबसे बेहतरीन माना जाता है लेकिन ये संस्थान भी शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी मिली कि देश के 8 बेहतरीन आईआईटी में शिक्षकों की 36 फीसदी स्वीकृत पद खाली हैं. इन संस्थानों में आईआईटी मुंबई (बॉम्बे), दिल्ली, गुवाहाटी, कानपुर, खड़गपुर, चेन्नई (आईआईटी मद्रास), रुड़की और वाराणसी (आईआईटी बीएचयू) शामिल हैं.

इन 8 संस्थानों में वर्तमान में कुल 65,824 छात्र हैं लेकिन 6,318 अनुमोदित पद के बदले केवल 4,049 शिक्षक ही हैं. बता दें कि इसी साल आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बॉम्बे को केंद्र सरकार ने उत्कृष्ट संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस) का दर्जा भी दिया था.

मध्य प्रदेश के नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ को मानव संसाधन मंत्रालय ने यह सूचना दी है. इसके आधार पर अभी 2,269 वैकेंसी के साथ इन सभी आईआईटी में प्रत्येक 16 छात्रों पर 1 शिक्षक हैं.

जवाब में पता चला है कि आईआईटी बीएचयू की हालत सबसे ज्यादा खराब है जहां कुल 5,485 छात्र हैं. यहां 548 अनुमोदित पद होने पर सिर्फ 265 फैकल्टी सदस्य हैं. यानी कि 52 फीसदी पोस्ट खाली हैं.

शिक्षाविद और करियर सलाहकार जयंतीलाल भंडारी ने कहा, 'देश में आईआईटी की संख्या बढ़कर अब 23 हो गई है. यह चिंताजनक है कि देश के बड़े और सबसे पुराने ये सभी आईआईटी अब भी शिक्षक की कमी से जूझ रहे हैं. अगर ये संस्थान ऐसी स्थिति से जूझ सकते हैं तो कोई भी अनुमान लगा सकता है कि नए आईआईटी की स्थिति क्या होगी.'

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मानव संसाधन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, आईआईटी खड़गपुर के पास 46 फीसदी पोस्ट खाली हैं, आईआईटी रुड़की में 42 फीसदी, आईआईटी कानपुर में 37 फीसदी, आईआईटी दिल्ली में 29 फीसदी, आईआईटी मद्रास में 28 फीसदी, आईआईटी बॉम्बे में 27 फीसदी और आईआईटी गुवाहाटी में 25 फीसदी पोस्ट खाली हैं.