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भारत ने कहा, चीन का नया सीमा कानून चिंता का विषय, द्विपक्षीय संबंधों पर डाल सकता है असर

भारत ने कहा, चीन का नया सीमा कानून चिंता का विषय, द्विपक्षीय संबंधों पर डाल सकता है असर

Updated on: 27 Oct 2021, 08:25 PM

नई दिल्ली:

भारत ने बुधवार को कहा कि भूमि सीमा कानून (लैंड बाउंड्री लॉ) लाने के चीन के ताजा एकतरफा फैसले का सीमा प्रबंधन पर मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्थाओं पर असर पड़ सकता है।

चीन के भूमि सीमा कानून पर मीडिया के सवालों के जवाब में, विदेश मंत्रालय (एमईए) के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, हमें यह जानकारी है कि चीन ने 23 अक्टूबर को नया भूमि सीमा कानून पारित किया है। इस कानून में अन्य बातों के अलावा यह कहा गया है कि भूमि सीमा मामलों पर चीन दूसरे देशों के साथ किए या संयुक्त रूप से स्वीकार किए समझौतों का पालन करेगा। इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में जिलों के पुनर्गठन के प्रावधान भी हैं।

उन्होंने आगे कहा कि भारत और चीन ने सीमा संबंधी प्रश्नों का अभी तक समाधान नहीं निकाला है और दोनों पक्षों ने समानता पर आधारित विचार विमर्श के आधार पर निष्पक्ष, व्यावहारिक और एक दूसरे को स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमति व्यक्त की है।

उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमन और शांति बनाए रखने के लिए कई द्विपक्षीय समझौते, प्रोटोकॉल और व्यवस्थाएं कर चुके हैं।

चीन के नए भूमि सीमा नियम को भारतीय विदेश मंत्रालय ने एकतरफा फैसला करार देते हुए कहा कि एक ऐसा कानून लाने का चीन का एकतरफा निर्णय, जो सीमा प्रबंधन के साथ-साथ सीमा से संबंधित मुद्दों पर हमारी मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्थाओं पर प्रभाव डाल सकता है, हमारे लिए चिंता का विषय है।

मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के एकतरफा कदम का उन व्यवस्थाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जिन पर दोनों पक्ष पहले ही सहमत हो चुके हैं, फिर चाहे वह सीमा से संबंधित मामलों पर हो या भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बनाए रखने के लिए हो।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि चीन इस कानून के बहाने ऐसे कदम उठाने से बचेगा, जो भारत और चीन के बीच सीमा क्षेत्रों में स्थिति को एकतरफा रूप से बदल सकते हैं और तनाव पैदा कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, इसके अलावा, इस नए कानून का पारित होना हमारे विचार में 1963 के तथाकथित चीन पाकिस्तान सीमा समझौते को कोई वैधता प्रदान नहीं करता है, जिसे भारत सरकार ने हमेशा से ही एक अवैध और अमान्य समझौता करार दिया है।

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