यमन में भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने उन लोगों से संपर्क किया है, जो केरल की नर्स निमिषा प्रिया और उनकी दोस्त द्वारा मारे गए यमनी नागरिक के परिवार के करीबी हैं।
बैठक प्रिया की जान बचाने की संभावना पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई, जो तभी किया जा सकता है, जब तलाल महदी का परिवार उसे यमनी नियमों के अनुसार शरिया कानून और राजनयिक हस्तक्षेप के अनुसार अपराधी या उसके परिजनों द्वारा पीड़ित के परिवार को दिये जाने वाल मुआवजे माफ कर दे।
जानकार सूत्रों के अनुसार, भारतीय राजनयिक इस बात से भी सावधान हैं कि ब्लड मनी फैक्टर पर मीडिया का अत्यधिक ध्यान उल्टा हो सकता है।
उनकी रिहाई के लिए काम कर रहे निमिषा बचाओ फोरम की पहल पर, सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने वार्ताकार के रूप में कार्य को यह देखने के लिए सहमति व्यक्त की कि उनकी जान कैसे बचाई जा सकती है।
जोसेफ, पूर्व और सेवारत राजनयिक अधिकारियों की एक टीम के साथ, यमन में अधिकारियों के साथ संपर्क करने में कामयाब रहे।
मोटे अनुमानों के अनुसार, यमनी मुद्रा में 1.50 करोड़ रुपये के बराबर राशि का भुगतान करना पड़ सकता है और शायद यह और भी अधिक हो सकता है, क्योंकि इसमें जुर्माना और अन्य शुल्क शामिल हैं।
इस बीच, प्रिया की मां और उनकी छोटी बेटी सहित जोसेफ के नेतृत्व में एक टीम महदी के परिवार के साथ सीधे बातचीत करने के लिए यमन की यात्रा करने के लिए राजनयिक मंजूरी का इंतजार कर रही है।
पिछले महीने यमनी अदालत द्वारा तलाल महदी की हत्या के मामले में प्रिया की अपील खारिज करने के बाद चीजें से तेज होने लगीं हैं, जिसमें वह एक अन्य व्यक्ति के साथ मुख्य आरोपी हैं।
दोनों को 2017 में महदी की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है।
पलक्कड़ की रहने वाली पेशे से नर्स प्रिया 2012 में अपने पति के साथ यमन पहुंची थी। 2015 में तलाल महदी की मदद से उन्होंने एक क्लीनिक की स्थापना की। तब तक उसका पति और उसका बच्चा घर लौट चुके थे।
जल्द ही, उसके और महदी के बीच मतभेद पैदा हो गए और उसने उस पर उसे प्रताड़ित करने और उसका पासपोर्ट छीन लेने का आरोप लगाया, जिससे उसकी अपने गृह राज्य की यात्रा मुश्किल हो गई।
25 जुलाई, 2017 को उसने अपना पासपोर्ट वापस लेकर वहां से भागने के मकसद से तलाल को शामक का इंजेक्शन लगाया।
लेकिन परिस्थिति प्रिया के हिसाब से नहीं रही और शामक का इंजेक्शन दिए जाने के बाद पीड़ित की मौत हो गई।
यह महसूस करते हुए कि महदी की मृत्यु हो गई है, उसने दूसरे व्यक्ति की मदद से उसके शरीर को ठिकाने लगा दिया। महदी के शरीर को टुकड़ों में काट दिया और पानी की टंकी में डाल दिया।
चार दिन बाद अपराध सभी के सामने आया और दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया और निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि दूसरे व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
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Source : IANS