मोदी सरकार के कालाधन वापस लाने के वादे के बीच स्विस बैंक में पहुंचे 27 हजार करोड़ रुपये
स्विस बैंक में रखी गई राशि की सूची में ब्रिटेन नंबर एक पर है. उसके नागरिकों के स्विस बैंकों में 377 अरब स्विस फ्रैंक जमा हैं. उसके बाद अमेरिका के (152 अरब स्विस फ्रैंक) का स्थान है. वहीं भारत 51वें नंबर पर है.
नई दिल्ली:
मोदी सरकार कालाधन वापस लाने के वादे पर सत्ता में आई थी. मोदी सरकार का वादा था कि विदेशों में जमा भारतीयों के कालेधन को देश में वापस लाया जाएगा. हालांकि स्विस बैंकों में भारतीयों का व्यक्तिगत और कंपनियों का पैसा 2020 में बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक (20,700 करोड़ रुपए से अधिक) पर पहुंच गया है. स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक की ओर से गुरुवार को जारी सालाना आंकड़े से यह जानकारी दी गई है. एसएनबी के मुताबिक, 2020 के अंत में भारतीय ग्राहकों के मामले में स्विस बैंकों की कुल देनदारी 255.47 करोड़ सीएचएफ (स्विस फ्रैंक) है. इसमें 50.9 करोड़ स्विस फ्रैंक (4,000 करोड़ रुपए से अधिक) ग्राहक जमा के रूप में है.
प्रतिभूतियों, बॉन्ड समेत अन्य वित्तीय उत्पादों के जरिए जमा हुआ कालाधन
इस दौरान बैंकों के पास ग्राहकों की जमा राशि में कुछ कमी आई है लेकिन यह बढ़ोतरी नकद जमा के तौर पर नहीं बल्कि प्रतिभूतियों, बॉन्ड समेत अन्य वित्तीय उत्पादों के जरिए रखी गई होल्डिंग से हुई है. जानकारी के मुताबिक स्विस बैंकों में यह कोष भारत स्थित शाखाओं और अन्य वित्तीय संस्थानों के जरिए रखे गए हैं. स्विस बैंकों में भारतीय ग्राहकों का सकल कोष 2019 के अंत में 89.9 करोड स्विस फ्रैंक (6,625 करोड़ रुपए) था. यह 2020 में बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक (20,632 करोड़ रुपए) पर पहुंच गया. इससे पहले, लगातार दो साल इसमें गिरावट आई. ताजा आंकड़ा 13 साल का सर्वाधिक है.
स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के आंकड़े के अनुसार 2006 में यह करीब 6.5 अरब स्विस फ्रैंक के रिकार्ड स्तर पर था. उसके बाद इसमें 2011, 2013 और 2017 को छोड़कर गिरावट आयी. एसएनबी के मुताबिक, 2020 के अंत में भारतीय ग्राहकों के मामले में स्विस बैंकों की कुल देनदारी 255.47 करोड़ सीएचएफ (स्विस फ्रैंक) है. इसमें 50.9 करोड़ स्विस फ्रैंक (4,000 करोड़ रुपए से अधिक) ग्राहक जमा के रूप में है. वहीं, 38.3 करोड़ स्विस फ्रैंक (3,100 करोड़ रुपए से अधिक) अन्य बैंकों के जरिए रखे गये हैं. न्यास के जरिये 20 लाख स्विस फ्रैंक (16.5 करोड़ रुपए) जबकि सर्वाधिक 166.48 करोड़ स्विस फ्रैंक (करीब 13,500 करोड़ रुपए) बॉन्ड, प्रतिभूति और अन्य वित्तीय उत्पादों के रूप में रखे गए हैं. कुल मिलाकर स्विस बैंकों में विभिन्न देशों के ग्राहकों की जमा राशि 2020 में बढ़कर करीब 2,000 अरब स्विस फ्रैंक पहुंच गई. इसमें से 600 अरब स्विस फ्रैंक विदेशी ग्राहकों की जमा राशि है. सूची में ब्रिटेन अव्वल है. उसके नागरिकों के स्विस बैंकों में 377 अरब स्विस फ्रैंक जमा हैं. उसके बाद अमेरिका के (152 अरब स्विस फ्रैंक) का स्थान है.
ये हैं शीर्ष 10 देश
शीर्ष 10 में अन्य वेस्टइंडीज, फ्रांस, हांगकांग, जर्मनी, सिंगापुर, लक्जमबर्ग, केमैन आईलैंड और बहामास हैं. भारत इस सूची में 51वें स्थान पर है और न्यूजीलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, डेनमार्क, हंगरी, मॉरीशस, पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा श्रीलंका जैसे देशों से आगे है. ब्रिक्स देशों में भारत, चीन और रूस से नीचे लेकिन दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील से आगे हैं. आंकड़ों के अनुसार स्विस बैंकों में ब्रिटेन, अमेरिका के ग्राहकों का धन कम हुआ. बांग्लादेश के भी ग्राहकों का धन घटा लेकिन पाकिस्तानी ग्राहकों का कोष दोगुना होकर 64.20 करोड़ सीएचएफ (स्विस फ्रैंक) हो गया.
इस बीच, बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआईएस) के आंकड़े के अनुसार 2020 में इस प्रकार का कोष करीब 39 प्रतिशत बढ़कर 12.59 करोड़ डॉलर (932 करोड़ रुपए) पहुंच गया. एक समय भारतीय और स्विस अधिकारी भारतीय के स्विस बैंकों में जमा के बारे में बीआईएस के आंकड़े को ज्यादा भरोसेमंद मानते थे. स्विस प्राधिकरण ने हमेशा कहा है कि भारतीयों की स्विट्जरलैंड में जमा संपत्ति को काला धन नहीं माना जा सकता है और वे कर धोखाधड़ी तथा कर चोरी के खिलाफ हमेशा भारत का समर्थन करते रहे हैं.
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