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न खाना न कपड़े, बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहे लेह और सियाचिन में तैनात सैनिक, CAG रिपोर्ट में खुलासा

सोमवार को सीएजी की ये संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में पेश की गई. इस रिपोर्ट के मुताबिक, बर्फीले इलाके में तैनात सैनिकों को स्नो बूट नहीं मिलने से उन्हें पुराने जूतों से काम चलाना पड़ा.

Updated on: 04 Feb 2020, 11:54 AM

लेह:

कड़ी ठंड में सरहद पर तैनात सैनिकों को बुनियादी सुविधाओं से जूझना पड़ रहा है. न उन्हें ठंड से बचने के लिए जूते और कपड़े मिल रहे और न ही जरूरत के मुताबिक खाना. ये सैनिकों का ही जोश है तो इन सुविधाओं के अभाव में भी सरहद की चौकसी में खड़े हैं. इसका खुलासा भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हुआ है.

सोमवार को सीएजी की ये संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में पेश की गई. इस रिपोर्ट के मुताबिक, बर्फीले इलाके में तैनात सैनिकों को स्नो बूट नहीं मिलने से उन्हें पुराने जूतों से काम चलाना पड़ा. CAG की रिपोर्ट के मुताबिक लेह, लद्दाख, सियाचिन (Siachen) और डोकलाम जैसे ऊंचे व ठंडे क्षेत्रों में दिन रात ड्यूटी पर तैनात भारतीय सैनिकों को बुनियादी जरूरत का सामान नहीं मिल पा रहा है. इन सैनिकों को बर्फ में चलने के लिए जूते, गर्म कपड़े, स्लीपिंग बैग और सन ग्लासेज की गंभीर किल्लत है. इससे उन्हें रोज परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जवानों के पास खाने-पीने का जरूरी सामान भी लगभग खत्म होने को है.

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सोमवार को संसद में पेश की गई रिपोर्ट में CAG ने इंडियन नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी की स्थापना में हो रही देरी को लेकर भी सवाल उठाए हैं. करगिल रिव्यू कमिटी ने इस यूनिवर्सिटी को बनाने की सिफारिश 1999 में की थी. रिपोर्ट के मुताबिक सैनिक बेहतर कपड़े और उपकरणों से वंचित रहे. रिपोर्ट के मुताबिक, बर्फीले इलाके में तैनात सैनिकों को स्नो बूट नहीं मिलने से उन्हें पुराने जूतों से काम चलाना पड़ा.

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जवानों को मिली जरूरत से कम एनर्जी
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि सैनिकों को उनकी जरूरत के मुताबिक एनर्जी नहीं मिल रही. दरअसल ऊंचे इलाकों में रहने वाले सैनिकों के लिए रोजाना जरुरत पड़ने वाली एनर्जी के हिसाब से खाना तय किया है. इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि बेसिक फूड आइटम की किल्लत की वजह से सैनिकों को 82 फीसदी तक कम कैलोरी मिली. एक मामले में तो सैनिकों को स्पेशल राशन जारी हुआ दिखा दिया गया, लेकिन उन्हें हकीकत में ये सामान उन तक पहुंचा ही नहीं.