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गैलेंट्री अवॉर्ड से सम्मानित हुए शहीद हेमराज, मां ने अधिकारी से कहा- दूसरे बेटे को भी फौज में लगा लो

भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल अलोक क्लेर ने हेमराज की मां को पहले सैल्यूट किया और फिर उन्हें उनके बेटे की बहादुरी का मेडल सौंप दिया.

Updated on: 20 Feb 2021, 09:44 AM

highlights

  • 1 सितंबर 2019 को लगी थी गोली
  • इलाज के दौरान हेमराज ने तोड़ा था दम
  • भारतीय सेना ने मरणोपरांत गैलेंट्री अवॉर्ड से किया सम्मानित

नई दिल्ली:

हिंदुस्तान की रक्षा करते हुए शहीद हुए भारतीय सेना के ग्रेनेडियर हेमराज को मरणोपरांत गैलेंट्री अवॉर्ड दिया गया. हेमराज के साहस और शौर्य को सम्मानित करने के लिए राजस्थान के अलवर में शुक्रवार को ईटाराणा छावनी में दक्षिण-पश्चिमी कमान ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था. कार्यक्रम में हेमराज का अवॉर्ड लेने के लिए उनकी मां दाखा देवी आई थीं. शहीद हेमराज की मां को देखकर वहां मौजूद सेना के सभी अधिकारी भावुक हो गए. बेटे की बहादुरी का अवॉर्ड लेते हुए दाखा देवी ने सेना के अधिकारी से कहा, ''मेरे दूसरे बेटे का नाम बंशी है जिनै फौज में लग्या दो ताकि म्हारो बुढ़ापो और सुधर जावै.'' बता दें कि शहीद हेमराज जाट राजस्थान के अजमेर जिले के रहने वाले थे.

शुक्रवार को ईटाराणा छावनी में आयोजित किए गए कार्यक्रम में शामिल हुए भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल अलोक क्लेर ने हेमराज की मां को पहले सैल्यूट किया और फिर उन्हें उनके बेटे की बहादुरी का मेडल सौंप दिया. कार्यक्रम में शहीद हेमराज के अलावा और भी कई जवानों को उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में शामिल हुए सेना के सीनियर अधिकारियों ने हेमराज की मां दाखा देवी के साथ खूब सारी बातें की और उनके साथ फोटो भी खिंचवाई. देश के लिए शहीद हुए बहादुर हेमराज की बूढ़ी मां को देखकर सेना के सीनियर अधिकारियों की आंखें भी नम हो गईं.

1 सितंबर, 2019 को पाकिस्तान ने कश्मीर के पुंछ सेक्टर में अचानक फायरिंग शुरू कर दी थी. पाकिस्तान की तरफ से हो रही फायरिंग के जवाब में भारतीय सेना के ग्रेनेडियर हेमराज जाट ने इधर से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. हेमराज के पास मशीनगन थी, जिससे उन्होंने पाकिस्तान में जमकर तबाही मचाई. इसी बीच पाकिस्तान से एक आई गोली सीधे उनकी गर्दन में आ लगी और वे नीचे गिर गए. हेमराज को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका. देश की सुरक्षा करते हुए महज 25 साल की उम्र में शहीद हुए हेमराज इस दुनिया में तो नहीं रहे लेकिन उनकी सेवा और साहस का ये देश हमेशा कर्जदार रहेगा.