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Corona कहर से जवानों की भर्ती रुकी, जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मांग

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले महीने राज्यसभा को बताया था कि सेना कोरोना महामारी से पहले में एक साल औसतन 100 भर्ती रैलियां आयोजित करती थी, जिनमें से प्रत्येक भर्ती रैली में छह से आठ जिले कवर होते थे.

Updated on: 16 Apr 2022, 09:59 AM

highlights

  • अधिकारी रैंक से नीचे 1 लाख 20 हजार सैनिकों की कमी
  • हर महीने 5 हजार की दर से जवानों की कमी सामने आ रही
  • भारतीय सेना के पास 10 लाख से अधिक सैनिकों की ताकत

नई दिल्ली:

Corona कहर का असर भारतीय सेना पर भी पड़ा है. बीते दो सालों से सेना में भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई है. इस कारण सेना में जवानों की कमी सामने आई है. अगर आंकड़ों की भाषा में बात करें तो भारतीय सेना में अधिकारी रैंक से नीचे के कैडर में 1 लाख 20 हजार सैनिकों की कमी है. दुर्भाग्य यह है कि भर्ती प्रक्रिया ठप है तो हर महीने 5 हजार की दर से जवानों की कमी सामने आ रही है. यह अलग बात है कि हर महीने बढ़ती जवानों की कमी के बावजूद सैनिकों के ऑपरेशंस में किसी तरह की रुकावट फिलहाल सामने नहीं आई है.

रक्षा मंत्री ने भी मानी थी कमी
गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले महीने राज्यसभा को बताया था कि सेना कोरोना महामारी से पहले में एक साल औसतन 100 भर्ती रैलियां आयोजित करती थी, जिनमें से प्रत्येक भर्ती रैली में छह से आठ जिले कवर होते थे. कोविड के कहर से पहले सेना ने 2019-20 में 80,572 और 2018-19 में 53,431 कैंडिडेट्स की भर्ती की थी. ऐसे में आर्मी प्रवक्ता का कहना है कि कोरोना से हालात सामान्य होने पर दोबारा भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी. 

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जवानों पर बढ़ा है दबाव
हालांकि यह देखने वाली बात है कि कोरोना कहर से हालात सामान्य होने के बाद स्कूल-कॉलेज खुल गए हैं और जनसामान्य से जुड़ी सेवाएं फिर से बहाल हो रही है. इसके बावजूद सेना में भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है. इस वक्त भारतीय सेना के पास 10 लाख से अधिक सैनिकों की ताकत है. जवानों की कमी के बावजूद भर्ती रुकने से दबाव बढ़ गया है, लेकिन फ्रंट-लाइन यूनिट्स की दक्षता कम नहीं हुई है. एक सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल ने पहचान न उजागर करने की शर्त पर कहा, 'पर्याप्त योजना के साथ यह सुनिश्चित करना मुश्किल नहीं है कि लड़ाकू पंच कमजोर न पड़े.'