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चीन की हर नापाक हरकत पर भारत की आसमान से है नजर, LAC पर हेरॉन तैनात

ड्रैगन की जहरीली फुफकार पर नजर रखने के लिए भारत ने आसमान में तैयारी कर ली है. इसके तहत एलएसी पर अत्याधुनिक ड्रोन (Drone) कैमरे तैनात किए जा रहे हैं.

Updated on: 18 Oct 2021, 06:47 AM

highlights

  • इजरायल में बने हेरॉन मार्क-1 ड्रोन हर मौसम में उड़ान भरने में सक्षम
  • 30 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर रख रहे ड्रैगन पर पल-पल नजर
  • एलएसी पर चौकसी मजबूत करने के लिए हेरॉन मार्क-2 ड्रोन का भी सौदा

नई दिल्ली:

बीते साल पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों में तनाव बरकरार है. इस बीच चीन अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) और उत्तराखंड में गाहे-बगाहे घुसपैठ कर भारत को और उकसाने का काम कर रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने में लगी है. अब इस कड़ी में ड्रैगन की जहरीली फुफकार पर नजर रखने के लिए भारत ने आसमान में तैयारी कर ली है. इसके तहत एलएसी पर अत्याधुनिक ड्रोन (Drone) कैमरे तैनात किए जा रहे हैं. ये ड्रोन हेरॉन मार्क-1 है, जिन्हें इजरायल की कंपनी ने बनाया है. 

30 हजार फीट की ऊंचाई पर हेरॉन ड्रोन तैनात
प्राप्त जानकारी के मुताबिक इजरायल निर्मित हेरॉन मार्क-1 ड्रोन एलएसी के पहाड़ी इलाकों में आसमान से दिन-रात चीन की एक-एक हरकत पर नजर रख रहे हैं. इन ड्रोनों से लगभग 30 हजार फीट की उंचाई तक उड़ान भराई जा रही है. इसके अलावा भारतीय सेना ने इजरायल से हेरोन मार्क-2 ड्रोन खरीदने का भी सौदा किया है. तकनीकी तौर पर इजरायल निर्मित ये ड्रोन चीन से सीमा पर जारी तनाव के दौर में भारतीय सेना को चीनी सेना पर बढ़त प्रदान करेगा. उच्च तकनीक से लैस यह ड्रोन कैसे भी मौसम में उंचाई और लंबी दूरी तक यात्रा करने में सक्षम हैं.

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असम-अरुणाचल में तैनाती मजबूत
यही नहीं, पूर्वोत्तर की सीमा पर असम के मीसामारी आर्मी एविएशन बेस में हेरोन ड्रोन एलएसी पर निगरानी के लिए उड़ान भर रहा है. यहां अडवांस लाइट हेलिकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव है और रुद्र भी तैनात है, जिसमें वेपन सिस्टम इंटीग्रेटेड है. यह एयरबेस भारतीय सेना का फोर कोर का बेस है, जो अरूणाचल प्रदेश से लगती लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के एक बड़े हिस्से पर तैनात है. वहां तैनात सैनिकों के लिए इसी एयरबेस से ही रसद समेत अन्य सैन्य साज-ओ-सामान की आपूर्ति की जाती है.

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भारत-चीन के बीच कई इलाकों पर जारी है गतिरोध
गौरतलब है कि पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत-चीन की सेनाओं में तनाव बढ़ गया है. इसके बाद हालांकि भारत और चीन के बीच कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता भी हुई, लेकिन किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका. हालांकि 10 अक्टूबर को सैन्य वार्ता के अंतिम दौर की बातचीत के बाद दोनों सेनाओं के बीच कुछ इलाकों में गतिरोध खत्म हो गया है. फिर भी चीन की तरफ से एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती के बाद भारत ने भी अपने सैनिकों और हथियारों का जमावड़ा बढ़ा दिया है.