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भारतीय-अमेरिकी किशोर ने जीता 50 हजार डॉलर का युवा वैज्ञानिक पुरस्कार

भारतीय-अमेरिकी किशोर ने जीता 50 हजार डॉलर का युवा वैज्ञानिक पुरस्कार

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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मिसौरी में भारतीय मूल के 17 वर्षीय एक छात्र ने एमपॉक्स वायरस से संबंधित अपने शोध के लिए 50 हजार डॉलर का प्रतिष्ठित रीजेनरॉन यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड जीता है।

कोलंबिया में डेविड एच. हिकमैन हाई स्कूल के छात्र सात्विक कन्नन को 2022 में फिर से उभरने के बाद एमपॉक्स बीमारी में बढ़ी हुई संक्रामकता के कारणों को समझने के लिए बायोकम्प्यूटेशनल तरीकों का उपयोग करने के लिए सम्मानित किया गया।

बायोप्लेक्स नाम का सात्विक का दृष्टिकोण, मशीन लनिर्ंग और त्रि-आयामी तुलनात्मक प्रोटीन मॉडलिंग के संयोजन का उपयोग उन संरचनाओं को डीकोड करने के लिए करता है जो एमपॉक्स वायरस को दोहराने में सक्षम बनाती हैं।

इसने उन्हें वायरस में उन उत्परिवर्तनों की पहचान करने की अनुमति दी, जो संभावित रूप से इसे और अधिक संक्रामक और अन्य उत्परिवर्तनों के रूप में बनाते थे, जो इसे एंटीबायोटिक दवाओं के लिए प्रतिरोधी बना सकते थे।

सात्विक पुरस्कार जीतने का श्रेय मिसौरी विश्वविद्यालय में पशु चिकित्सा विकृति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर कमलेंद्र सिंह को दिया।

सात्विक ने पुरस्कार के बारे में कोलंबिया डेली ट्रिब्यूट को एक ईमेल में लिखा, मैं बहुत खुश और अविश्वसनीय रूप से उत्साहित हूं!

मैंने महसूस किया कि यह कुछ वर्षों में डॉ. सिंह की सलाह और मार्गदर्शन के साथ हमारे काम को दर्शाता है, जो इस वर्ष से मेरी परियोजना में परिणत हुआ है।

सात्विक का मानना है कि भविष्य में वैज्ञानिक अन्य वायरसों के प्रकोप पर भी बायोप्लेक्स को लागू करने में सक्षम होंगे।

2023 रीजेनरॉन इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर में दुनिया भर के 49 राज्यों और 64 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 1,600 से अधिक युवा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने भाग लिया।

सात्विक ने मेले के कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञान और जैव सूचना विज्ञान विभाग में भी पहला स्थान प्राप्त किया और 5 हजार डॉलर प्राप्त किए।

प्रमुख बायोटेक्नोलॉजी कंपनी, रेजेनरॉन के अनुसार, विजेताओं का चयन चुनौतीपूर्ण वैज्ञानिक प्रश्नों से निपटने, प्रामाणिक अनुसंधान पद्धतियों का उपयोग करने और भविष्य की समस्याओं का समाधान तैयार करने में नवाचार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए किया गया था।

गौरतलब है कि पोर्टलैंड के एक अन्य भारतीय-अमेरिकी छात्र ऋषभ जैन ने सिंथेटिक डीएनए इंजीनियरिंग का उपयोग करके पुन: संयोजक कोविड -19 टीकों जैसे दवाओं के तेजी से और लागत प्रभावी उत्पादन को सक्षम करने के लिए एआई-आधारित मॉडल विकसित करने के लिए पिछले साल समान पुरस्कार जीता था।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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