रेनसमवेयर वानाक्राई का भारत बना तीसरा सबसे बड़ा शिकार, 48,000 कंप्यूटर बने निशाना
जानकारों के मुताबिक भारत इस साइबर अटैक से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत इस अटैक का तीसरा सबसे बड़ा शिकार देश बना हैं।
नई दिल्ली:
दुनिया के 150 देश रेनसमवेयर वानाक्राई का शिकार हुए हैं और भारत के भी करीब 40 हज़ार से ज़्यादा कंप्यूटर वायरस का शिकार हुए हैं। हालांकि आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद भारत के प्रभावित न होने की बात कह रहे हैं लेकिन साइबर एक्सपर्ट्स की मानें तो स्थिति बिल्कुल उल्टी है।
जानकारों के मुताबिक भारत इस साइबर अटैक से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत इस अटैक का तीसरा सबसे बड़ा शिकार देश बना हैं।
डीएसके लीगल के पार्टनर तुषार अजिंक्य ने कहा, 'भारत में पारदर्शिता नहीं है। बैंकों और लिस्टेड कंपनियों के लिए अनिवार्य नियम है कि वे किसी भी साइबर अटैक का खुलासा करेंगी, लेकिन कुछ ही बैंक और कंपनियां ऐसा करती हैं।' उन्होंने कहा, 'हमने पहले देखा है कि ऐसे अटैकर्स इंडियन वेबसाइट्स को मुख्य तौर पर डीफेस कर देते थे, लेकिन अब मकसद पैसा हो गया है।'
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बता दें कि वानाक्राई रेनसमवेयर के कारण ब्रिटेन में हेल्थकेयर सिस्टम और फ्रांस की कार कंपनी रेनॉ का कामकाज प्रभावित हुआ था।
ऐसे में भारतीय कंपनियों के कामकाज पर इसके असर की आशंकाएं जताई गई है लेकिन किसी बड़ी घटना के सामने आने की ख़बर नहीं है। बावजूद इसके एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इसका मतलब यह नहीं है कि भविष्य में किसी हमले के लिहाज से सभी सिस्टम्स सुरक्षित हैं।
कैस्परस्काई लैब के मैनेजिंग डायरेक्टर (साउथ एशिया) अलताफ हालदे ने कहा, 'रिसर्च में हमने पाया कि वानाक्राई के ग्लोबल लेवल पर हुए हमलों का बड़ा हिस्सा इंडिया में हुआ और हमलों की कुल संख्या के लिहाज से भारत तीसरे नंबर पर रहा।'
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उन्होंने कहा, 'ज्यादातर इंडियन ऑर्गनाइजेशंस पर ऐसे हमलों का खतरा बना हुआ है क्योंकि ऐसे साइबर अटैक्स में चतुराई बढ़ती जा रही है और कई सरकारी और प्राइवेट भारतीय संगठन अब भी आउटडेटेड ऑपरेटिंग सिस्टम्स यूज कर रहे हैं।'
दूसरी और साइबर सिक्यॉरिटी फर्म क्विक हील टेक्नोलॉजीज की रिसर्च रिपोर्ट में पाया गया कि रैंसमवेयर वानाक्राई ने करीब 48000 कंप्यूटरों को निशाना बनाया और ज्यादातर घटनाएं पश्चिम बंगाल में हुईं।
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रैंसमवेयर की घटना पिछले साल भी भारत में हुई थी जब कई कंपनियों और बैंकों पर कम से कम तीन रैंसवमेयर अटैक्स हुए थे।
पहला हमला पिछले साल लुसिफर अटैक के रूप में हुआ, जिसमें बैंकों और दवा कंपनियों के कंप्यूटर लॉक हो गए थे। जानकारों के मुताबकि कम से कम तीन कंपनियों और बैंकों ने अपने सिस्टम्स को अनलॉक करने के लिए बिटकॉइन में पेमेंट किया था।
इस साल जनवरी में लजारस नाम के रैंसमवेयर ने भारतीय कंपनियों पर हमला किया था।
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