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J&K से Article 370 खत्म करने पर क्यों बौखला रहा है पाकिस्तान? क्या उसे गिलगिट बाल्टिस्तान याद नहीं?

पाकिस्तान ने एक साल पहले अपने कब्जे वाले कश्मीर के गिलगिट बाल्टिस्तान और एक अन्य क्षेत्र फाटा के साथ भी कुछ ऐसा ही किया था

Updated on: 10 Aug 2019, 08:27 PM

नई दिल्ली:

भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर दी है. जम्मू-कश्मीर को जो स्पेशल स्टेटस मिल रहा था अब नहीं मिलेगा. साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेश में विभाजित कर दिया. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर हायतौबा सबसे ज्यादा पाकिस्तान ने ही मचाया है. पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उठाने की धमकी दी है. साथ ही भारत के साथ कई समझौतै को तोड़ दिया है. भारत सरकार के खिलाफ फैसला लेने में पाकिस्तान कोई भी मौका नहीं छोड़ रहा है. पाकिस्तान एकदम से बौखला गया है और उसकी बौखलाहट सामने आ रही है.

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पाकिस्तान के साथ दुर्भाग्य है कि हर जगह से उसे दो टूक जवाब मिल रहा है. हर जगह उसे मुंह की खानी पड़ी है. यह भारत की अंदरूणी मामला है और इस द्विपक्षीय आधार पर ही निपटाया जाए. दोनों देश को सीमा पर शांति बनाए रखने की अपील की है. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पाकिस्तान ने ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने का रास्ता दिखाया है. पाकिस्तान ने एक साल पहले अपने कब्जे वाले कश्मीर के गिलगिट बाल्टिस्तान और एक अन्य क्षेत्र फाटा के साथ भी कुछ ऐसा ही किया था. पाक सरकार ने 21 मई 2018 को अचानक गिलगिट बाल्टिस्तान के लोगों की सभी शक्तियां छीन ली थीं. गिलगिट बाल्टिस्तान, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का एक हिस्सा है. 1947 की आजादी और उसके कुछ माह बाद हुए भारत-पाक युद्ध से पहले तक गिलगिट बाल्टिस्तान समेत पाकिस्तान के कब्जे वाला पूरा कश्मीर, जम्मू-कश्मीर का अटूट हिस्सा हुआ करता था.

पावर सीज कर लिया था

पाकिस्तान सरकार ने मई 2018 के अपने फैसले के तहत 'गिलगिट बाल्टिस्तान ऑर्डर 2018' की घोषणा की थी. इसके जरिए पाकिस्तान ने 'गिलगिट बाल्टिस्तान सशक्तीकरण और 2009 के स्व-शासन आदेश' को खत्म कर दिया था. 'गिलगिट बाल्टिस्तान ऑर्डर 2018' के जरिये पाकिस्तान ने स्थानीय निकायों की सभी शक्तियों को खत्म कर दिया था और वहां के सभी अधिकार पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को सौंप दिए गए थे.

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कानूनी अधिकार भी समाप्त कर दिए थे

पाकिस्तान ने 'गिलगिट बाल्टिस्तान ऑर्डर 2018' में स्थानीय लोगों से कर वसूली का अधिकार भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को सौंप दिया था. पाकिस्तान ने उस वक्त ऐसा कानून बनाया था कि उसे कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती थी. मतलब पाकिस्तान ने एक तरह से लोगों के न्याय पाने के मूल अधिकार भी छीन लिये थे. जबकि, भारत ने जम्मू-कश्मीर से 370 खत्म करने के साथ लोगों के कानूनी अधिकार नहीं छीने हैं.

पाकिस्तान ने भारत को दी थी ये सलाह

पाकिस्तान ने भी 'गिलगिट बाल्टिस्तान ऑर्डर 2018' लागू करने से पहले न तो स्थानीय लोगों की राय ली थी और न ही भारत या अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कोई बात की थी. पाकिस्तान के इस फैसले के खिलाफ गिलगिट बाल्टिस्तान के लोगों ने जबरदस्त विरोध भी प्रदर्शन किया था. भारत ने भी उस वक्त पाकिस्तान के फैसले पर आपत्ति जताई थी. इसी मसले पर भारत के विदेश मंत्रालय ने 27 मई 2018 को दिल्ली में मौजूद पाकिस्तान के डिप्टी हाई कमीश्नर को तलब किया था. उस वक्त भी भारत ने पाकिस्तानी डिप्टी हाई कमीश्नर से स्पष्ट कहा था कि गिलगिट बाल्टिस्तान समेत जम्मू-कश्मीर का पूरा इलाका भारत का है. तब पाकिस्तान ने इसे अपना अंदरूनी मामला बताते हुए, भारत को शांत रहने की सलाह दी थी.

मीडिया कवरेज पर लगाई थी पाबंदी

'गिलगिट बाल्टिस्तान ऑर्डर 2018' लागू करने के साथ ही पाकिस्तान ने प्रभावित क्षेत्र में मीडिया कवरेज को भी सीमित कर दिया था. मतलब, उस वक्त पाकिस्तानी मीडिया से वहां के वास्तविक घटनाक्रमों की निष्पक्ष रिपोर्टिंग करने तक का अधिकार छीन लिया गया था.