भारत एंटी-आरएफ टेक्नोलॉजी से निपटेगा पाक ड्रोनों से

बीएसएफ जल्द ही एक नवीनतम तकनीक से लैस होगा, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान के संदिग्ध आतंकवादियों और पश्चिमी क्षेत्र में हथियारों और ड्रग्स की तस्करी से निपटने के लिए किया जाएगा.

बीएसएफ जल्द ही एक नवीनतम तकनीक से लैस होगा, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान के संदिग्ध आतंकवादियों और पश्चिमी क्षेत्र में हथियारों और ड्रग्स की तस्करी से निपटने के लिए किया जाएगा.

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Nihar Saxena
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'काउंटर ड्रोन सॉल्यूशंस' के तहत चल रहा काम.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

भारत का सीमा सुरक्षा बल बीएसएफ जल्द ही एक नवीनतम तकनीक से लैस होगा, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान के संदिग्ध आतंकवादियों और पश्चिमी क्षेत्र में हथियारों और ड्रग्स की तस्करी से निपटने के लिए किया जाएगा. 'काउंटर ड्रोन सॉल्यूशंस' के बारे में निष्कर्ष परिणाम उस अवैध गतिविधि से छुटकारा पाने की प्रक्रिया के तहत हैं जिसके बारे में खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी थी कि यह आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकता है.

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मामले में प्रगति से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स द्वारा उड़ाए गए ड्रोन के लिंक को तोड़कर खतरे को नियंत्रित करने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की मदद के लिए एक एंटी-रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) ट्रांसमिशन सिस्टम विकसित किया जा रहा है. सूत्र ने नाम जाहिर नहीं करने का अनुरोध करते हुए बताया कि लाइव ट्रायल शुरू कर दिया गया है और दूसरा पायलट रन बस अभी खत्म हुआ है. हम अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं, जिसे हम जल्द ही गृह मंत्रालय को सौंपेंगे. सॉल्यूशन टेस्टिंग से लेकर ड्रोन डिटेक्शन और टारगेट सिस्टम तक, सभी पहलुओं को कवर किया जा रहा है.

सिस्टम को समझाते हुए, एक अन्य सूत्र ने कहा, ड्रोन को दूर से नियंत्रित करने के लिए, आपको इसे वायरलेसली कम्युनिकेट करना होगा. रेडियो फ्रीक्वेंसी तरंग इन ड्रोनों को दूर से नियंत्रित करने के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम पर एक अदृश्य तरंग रूप है. रेडियो फ्रीक्वेंसी को ब्रेक करने के लिए एक सिस्टम विकसित की जा रही है. सूत्र ने कहा कि 'रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन' सिस्टम फ्रीक्वेंसी को कैप्चर करने में मदद करेगा और इसे यहां से कंट्रोल करेगा या दूसरी तरफ से इसका कनेक्शन तोड़ देगा.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि ड्रोन तकनीक में अपार संभावनाएं हैं और नीति आयोग के अनुसार अगले 15 वर्षों में इस सेक्टर के 50 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है. उन्होंने कहा, चूंकि भारत में हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसलिए आंतरिक सुरक्षा और अन्य पहलुओं को देखते हुए जल्द समाधान निकालना समय की जरूरत है.

हाल के दिनों में आतंकवादियों और उनके हैंडलर्स द्वारा भारतीय सीमा के हिस्से वाले अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हथियारों आदि को गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल खूब किया जा रहा है. गृह मंत्रालय के मार्गदर्शन में बीएसएफ अब इस खतरे का स्थायी समाधान खोजने की कोशिश कर रहा है.

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