ट्रंप के शासन काल में भारत-अमेरिका रिश्तों में आई बहार

मोदी ने भी अक्टूबर में कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते 'तीव्रता' से प्रगाढ़ बन रहे हैं।

मोदी ने भी अक्टूबर में कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते 'तीव्रता' से प्रगाढ़ बन रहे हैं।

author-image
abhiranjan kumar
एडिट
New Update
ट्रंप के शासन काल में भारत-अमेरिका रिश्तों में आई बहार

पीएम मोदी और ट्रंप (फाइल फोटो)

अमेरिका में सत्ता के शिखर पद के लिए एक नवधनाढ्य उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरने पर डोनाल्ड ट्रंप ने एक चुनावी रैली में भारतीय प्रवासियों से वादा किया कि व्हाइट हाउस में उनको एक सच्चा दोस्त मिलेगा। ट्रंप ने उन्हें भारत से सच्ची दोस्ती करने का भरोसा दिलाया था।

Advertisment

बतौर राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने कार्यकाल के पहले साल में ही इस वादे को निभाते हुए पहली बार भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक निक्की हेली को अपने कैबिनेट में नियुक्त कर वाशिंगटन की वैश्विक रणनीति में भारत को नेतृत्वकारी भूमिका प्रदान की।

सादगीपूर्ण पृष्ठभूमि से आने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अरबपति व आकर्षक टीवी शख्सियत ट्रंप के बीच रिश्ता अनोखी मित्रता की मिसाल है। फोन पर बातचीत से शुरू हुई दोनों नेताओं की मित्रता जून में प्रधानमंत्री की ट्रंप से व्हाइट हाउस में गले मिलने से और गहरी हो गई।

ट्रंप की ओर से उस समय की गई घोषणा के मुताबिक, भारत और अमेरिका के बीच रिश्ता कभी उतना मजबूत और बेहतर नहीं रहा। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी, मैं आपका और भारतीय लोगों का अभिवादन करके रोमांचित हूं, क्योंकि आप सबने साथ निभाया है।"

पूर्व के तीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा के शासन काल में भारत और अमेरिका के बीच संबंध में प्रगाढ़ता आई है और ट्रंप ने इसे और प्रगाढ़ता प्रदान की है। खासतौर से चीन और अफगानिस्तान के मामले को लेकर भारत और अमेरिका के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं।

भारत के प्रति ट्रंप का जो नजरिया है उसमें वैश्विक सुरक्षा का खास स्थान बन गया है।

पिछले महीने प्रकाश में आई अमेरिकी राष्ट्रीय रणनीति में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बीजिंग के वर्चस्व को कम करने में नई दिल्ली की अहमियत स्वीकार की गई और कहा गया, 'हम अग्रणी वैश्विक शक्ति के रूप में उभरते भारत को अपनी मजबूत रणनीतिक व रक्षा संबंधी साझेदार मानते हुए उसका अभिनंदन करते हैं।'

मोदी ने भी अक्टूबर में कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते 'तीव्रता' से प्रगाढ़ बन रहे हैं।

भारतीय मूल के अमेरिकी निवासियों में डेमोक्रेट के प्रति जोरदार रुझान रहा है। अमेरिकी विचार मंच प्यू रिसर्च सेंटर के सव्रेक्षण के मुताबिक, तकरीबन 65 फीसदी लोगों का समर्थन डेमोक्रेट को है, लेकिन ट्रंप ने भारतीय मूल के लोगों को शीर्ष प्रशासनिक पदों पर नियुक्त किए हैं।

ट्रंप ने हेली को संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि के तौर पर कैबिनेट रैंक के पद पर नियुक्त किया है और वह अक्सर ट्रंप की सख्त विदेश नीति का चेहरा बनकर उभरी हैं।

अजित पई फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन के चेयरमैन बन गए हैं। इस पद पर रहते हुए वह इंटरनेट, मोबाइल फोन एयरवेव्स, ब्राडकास्ट और कम्युनिकेशन विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

इसे भी पढ़ेंः जब ट्रंप ने मोदी को हाथ से किया इशारा और की गुफ्तगू

ट्रंप ने राज शाह को अपना सलाहकार और प्रिंसिपल डेप्यूटी प्रेस सेक्रेटरी नियुक्त किया है। उत्तम ढिल्लन को उप सलाहकार और डेप्यूटी काउंसलर नियुक्त किया है। इसी तरह कई अन्य पदों पर भी भारतीयों को नियुक्त किया गया है।

इन सबके बावजूद कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां भारत और अमेरिका के बीच आपसी मसलों को लेकर टकराव की स्थिति है। मसलन, आव्रजन का मुद्दा सबसे विवादस्पद रहा है।

ट्रंप प्रशासन ने अपनी आव्रजन नीति के तहत पेशेवरों के लिए एच-1बी वीजा कार्यक्रम में मौलिक बदलाव लाने के संकेत दिए हैं। जाहिर है कि एच-1बी वीजा कार्यक्रम का भारी फायदा भारतीय पेशेवरों को मिल रहा है।

उन्होंने यह भी घोषणा की है कि वह निकटतम परिवार के अलावा अन्य रिश्तेदारों के आव्रजन को समाप्त करना चाहते हैं। इससे बहुत सारे भारतीय प्रभावित होंगे।

वहीं, आर्थिक मोर्चे पर ट्रंप की नीति 'अमेरिका फर्स्ट' और और मोदी का कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' को लेकर दोनों देशों में सहमति के आसार कम हैं क्योंकि दोनों में अपने देश में रोजगार की बात की जा रही है।

सभी राज्यों की खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

Source : News Nation Bureau

INDIA America Modi Trump
      
Advertisment