सरकारी निकाय वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की संस्था नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटोरीज (एनएएल) ने दिल्ली की कंपनी मेस्को एयरोस्पेस से दो सीटों वाले हंस-एनजी विमान विकसित करने के लिए भागीदारी की है। कंपनी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। एनएएल के निदेशक जितेंद्र जे. जाधव ने एक बयान में कहा, 'कंपनियों के बीच हंस-नेक्स्ट जेनरेशन विमान के डिजायन, विकास, उत्पादन और विपणन का समझौता हुआ है, जिससे पायलट प्रशिक्षण के लिए स्वदेशी विमान की उपलब्धता बढ़ेगी।'
साल 2019 तक यह विमान उड़ने के लिए तैयार होगा और इसे नियामक प्राधिकरण नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा 2020 के मार्च तक प्रमाणित कर दिया जाएगा।
जाधव ने कहा कि एक बार प्रमाणित होने के बाद दिल्ली स्थित मेस्को हंस इसका उत्पादन शुरू कर देगी। यह नाम हंस पक्षी से लिया गया है।
बयान में कहा गया, 'मेस्को इस विमान के लिए सेवा केंद्र की भी स्थापना करेगी और इसे भारत और विदेशों में विपणन करेगी।'
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हंस-एनजी का उपयोग हवाई क्षेत्रों में चिड़ियों की टोह लेने या उसे भगाने के लिए, कैडेट प्रशिक्षण, तटीय क्षेत्रों की निगरानी और शौकिया उड़ान के लिए किया जा सकेगा।
एनएएल का लक्ष्य इस विमान के बेसिक वर्शन को 80 लाख रुपये में तथा फुल्ली लोडेड वर्शन को 1 करोड़ रुपये में बेचने का है। एनएएल का अनुमान है कि देश में 70 से 80 दो सीटर विमान की जरूरत है।
Source : IANS