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Kashmir पर पीएम शहबाज शरीफ और बिलावल भुट्टो को भारत ने फिर लगाई लताड़

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान के नेतृत्व ने कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की है. शहबाज़ ने पिछले साल यूएनजीए के 77 वें सत्र में भी भारत विरोधी अभियान शुरू किया था.

Updated on: 06 Jan 2023, 09:18 AM

highlights

  • शहबाज शरीफ ने अपनी ट्वीट में अनुच्छेद 370 पर की टिप्पणी
  • बिलावल भुट्टो ने आत्मनिर्णय के अधिकार दिवस का किया जिक्र
  • भारत ने फिर दोहराया कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा

नई दिल्ली/इस्लामाबाद:

कश्मीर (Kashmir) पर पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो (Bilawal Bhutto) की भड़काऊ टिप्पणियों पर भारत ने पाकिस्तान को फिर आड़े हाथों लिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने कहा कि भारत ने कई बार दोहराया है कि जम्मू और कश्मीर देश का एक अपरिहार्य और अभिन्न हिस्सा है. बागची शरीफ के अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखी पोस्ट पर पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे. इस ट्वीट में शहबाज शरीफ ने कहा कि दक्षिण एशिया में शांति और विकास कश्मीर विवाद के समाधान से जुड़े हैं. विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने एक ट्वीट में कश्मीर दिवस पर एक भड़काऊ टिप्पणी की थी.

शहबाज शरीफ ने ट्वीट कर फिर आलापा कश्मीर राग
गौरतलब है कि पाकिस्तान हालिया दौर में टीटीपी आतंकी समूह के हमलों में तेजी से लेकर आर्थिक चुनौतियों समेत कई संकटों का सामना कर रहा है. कभी अच्छे-बुरे तालिबान का नारा देने वाले पाकिस्तान के लिए अफगानिस्तान में तालिबान के करीबी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान एक बड़ी चुनौती बन चुका है. इसके बावजूद हद ही है कि देश की विकट परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को 5 अगस्त के अपने आदेश को उलट देना चाहिए. शहबाज शरीफ ने यह बात जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A को हटाने के 2019 के फैसले पर की थी. 

पाकिस्तान कश्मीर पर कर रहा दुष्प्रचार
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अरिंदम बागची ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, 'हमने कई बार दोहराया है कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक अपरिहार्य और अभिन्न अंग है. अनुच्छेद 370 पूरी तरह से भारतीय संविधान से जुड़ा मामला है, बल्कि यह भारत की संप्रभुता से जुड़ा मामला है. हम नहीं पता कि वे बार-बार किस अधिकार से इस तरह की टिप्पणी क्यों कर रहे हैं. हालांकि इस तरह के हस्तक्षेप से उन्हें बिल्कुल भी मदद नहीं मिलेगी और वह अपने दुष्प्रचार के मंसूबों में सफल नहीं हो सकते.'

पहले भी उगलते आ रहा है जहर
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान के नेतृत्व ने कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की है. शहबाज़ ने पिछले साल यूएनजीए के 77 वें सत्र में भी भारत विरोधी अभियान शुरू किया था. उस वक्त भी वह पाकिस्तान में आई अभूतपूर्व बाढ़ और उसके विनाशकारी प्रभाव से निपटने के लिए वैश्विक मदद की गुहार लगा रहे थे. बाढ़ की विभीषिका का जिक्र करते हुए अचानक उन्होंने कश्मीर का रुख किया और कहा कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता जम्मू और कश्मीर विवाद के न्यायोचित और स्थायी समाधान पर निर्भर है.