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भारतीय रेलवे नया कीर्तिमान रचने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। अपने रेल नेटवर्क को दो महाद्वीपों के पांच देशों में अपनी मौजूदगी दर्ज़ करने वाला है। इस कोशिश के तहत भारतीय रेलवे मालढुलाई के लिये फ्रेट ट्रेन के लिये लाइन बिछाने की योजना बना रहा है।
लौह सिल्क रोड (आयरन सिल्क रोड) के नाम से मशहूर इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, ईरान और टर्की को जोड़ा जाएगा। रेलवे के इस कदम से क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
इस महात्वाकांक्षी योजना का कोडनेम ITI-DKD-Y कॉरिडोर है। ढाका-कोलकाता-दिल्ली-इस्लामाबाद-तेहरान-इस्तानबुल इस फ्रेट-वे का रूट होगा।
रेलवे बोर्ड(ट्रैफिक) के सदस्य मोहम्मद जमशेद ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'इसके लिये ट्रायल रन जल्द ही इसी साल 2017 में किया जाएगा और संबंधित देशों के साथ तमाम मुद्दा पर भी चर्चा करके रास्ता निकाला जाएगा।'
उन्होंने कहा, 'रेलवे की दिशा में दक्षिण एशियाई क्षेत्रों की कनेक्टिविटी के लिये ये एक बड़ी उपलब्धि होगी। इससे हम दुनिया को दिखा सकते हैं कि एक ट्रांस एशियन व्यापारिक फ्रेट कॉरिडोर संभव है।'
इस रूट की परिकल्पना 1990 में संयुक्त राष्ट्र की UNESCAP द्वारा की गई थी। इसे ट्रांस एशियन रेलवे साउदर्न कॉरिडोर के नाम से जाना जाता है। जिसके तहत संयुक्त राष्ट्र थाईलैड को टर्की से जोड़ना चाहता था।
इस प्रोजेक्ट को लेकर उत्साह तब बढ़ा जब बलोचिस्तान के ज़हेदान में 150 किलोमीटर लंबी रेलवे ट्रैक बनाई गई। ये ट्रैक बलोचिस्तान को पाकिस्तान के दूसरे हिस्सों से जोड़ती है। इसके कारण फ्रेट ट्रेन रूट बनाने की कल्पना को साकार करने की संभावनाएं नज़र आने लगी।
हालांकि म्यानमार में अधूरी पड़ी रेलवे लिंक के कारण ढाकासे लेकर जाया जाएगा। बाद में तामू-काले रूट पूरा होते ही रंगून को भी इससे जोड़ा जाएगा।
भारतीय रेलवे ने15-16 मार्च को बांग्लादेश, पाकिस्तान, ईरान और टर्की के रेलवे के अधिकारियों को बैठक के लिये भी बुलाया गय़ा है। इस बाठक में रेलवे लाइन से जुड़ीं तमाम औपचारिकताओं को पूरा किया जाएगा। साथ ही इससे जुड़ी समस्याओं को भी सुलझाया जाएगा।
हालांकि इस प्रोजेक्ट के पाकिस्तान में समस्या का सामना करना पड़ सकते है। पाकिस्तान भारतीय रेलवे के पैसैंजर ट्रेन को आने जाने की इजाज़त देता है लेकिन सुरक्षा कारणों की आड़ में मालगाड़ी को आने जाने की इजाज़त नहीं देता।
इस साल जनवरी में पहली बार चीन की फ्रेट ट्रेन ब्रिटेन तक गई थी। इस ट्रेन ने करीब तीन की यीवु शहर से 7,500 किलोमीटर का रास्ता दो हफ्तों में तय किया था।
चीन की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक 'वन बेल्ट, वन रोड' के तहत ये प्रदर्शन करने की थी। साथ ही एसिया और यूरोप के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिये सिल्क रूट को फिर से सक्रिय करने की योजना के तहत इसका प्रदर्शन किया गया था।
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Source : News Nation Bureau