भारत ने शुक्रवार को चीन से कहा कि वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र को उन्मुक्त व खुला रखने के पक्ष में है और इस इलाके में बीजिंग के विरुद्ध गुट बनाने में विश्वास नहीं करता है।
दोनों देशों के बीच समुद्री मामलों को लेकर यह दूसरे दौर की वार्ता थी।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के खिलाफ अमेरिका, जापान, भारत और आस्ट्रेलिया के तथाकथित चतुष्कोणीय गुट की बहाली से चीन की चिंता बढ़ गई है और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में वह ज्यादा हठधर्मी बन गया है।
भारत ने हालांकि सिंगापुर में शांग्रीला वार्ता के दौरान चीन की चिंता कम करने की कोशिश की जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र ने कहा कि नई दिल्ली हिंद-प्रशांत क्षेत्र को एक रणनीति या सीमित सदस्यों के गुट के रूप में नहीं देखती है।
उन्होंने नौवहन की आजादी, निर्बाध व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार विवादों का शांतिपूर्ण हल तलाशने की बात कही।
बीजिंग में हुई समुद्री मामलों पर वार्ता में भारत ने यही संदेश चीन को दिया।
बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास ने एक बयान में कहा, 'भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर अपना नजरिया स्पष्ट किया जोकि इस साल सिंगापुर स्थित शांग्रीला वार्ता के दौरान मोदी के प्रमुख वक्तव्य के अनुरूप है।'
भारत ने हालांकि कभी खुलकर यह स्वीकार नहीं किया कि वह गुट का हिस्सा है लेकिन अन्य तीन देशों के साथ भारत की बातचीत से चीन की बेचैनी बढ़ गई है।
दूतावास ने बताया, 'दोनों पक्षों के बीच समुद्री सुरक्षा और सहयोग, नीली अर्थव्यवस्था और आगे व्यावहारिक सहयोग बढ़ाने समेत आपसी हितों के विविध मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ।'
भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (निरस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मामले) ने की, जबकि चीनी प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व चीन के विदेश मंत्रालय के एशियाई मामले विभाग के महानिदेशक वु जियांगहाओ ने की।
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Source : IANS