अफगानिस्तान के विकास में जारी रहेगा सहयोग लेकिन भारतीय फौज की तैनाती नहीं: रक्षा मंत्री
भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की तैनाती से साफ इनकार कर दिया है।
highlights
- सीतारमण ने कहा, अफगानिस्तान में नहीं होगी भारतीय फौजों की तैनाती
- शांति और स्थिरता की बहाली के लिए अमेरिका के साथ मिलकर करेंगे काम
नई दिल्ली:
भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की तैनाती से साफ इनकार कर दिया है। भारत ने शांति और स्थिरता की बहाली के लिए अमेरिका के साथ मिलकर आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने को लेकर प्रतिबद्धता जताई है।
केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के साथ बातचीत के बाद संवाददाताओं से कहा, 'अफगानिस्तान में भारतीय सैनिक नहीं होंगे।' इस दौरान उनके साथ मैटिस भी थे।
सीतारमण पत्रकारों के उन सवालों का जवाब दे रही थी जिसमें पूछा गया था कि भारत अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए किस तरह से योगदान देगा और क्या वहां अपनी फौजें भेजेगा?
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अमेरिकी रक्षा मंत्री मैटिस, ट्रंप प्रशासन के पहले मंत्री हैं जो भारत के दौरे पर हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत अफगानिस्तान अपनी फौजों को उतारे। हालांकि भारतीय रक्षा मंत्री ने सीधे तौर पर इसे खारिज कर दिया।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने अफगानिस्तान को लेकर अपनी नई नीति पेश की थी और भारत से दशकों से आतंकवाद से जूझ रहे अफगानिस्तान की अधिक मदद करने को कहा था।
सीतारमण ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत का योगदान लंबे समय से रहा है। भारत वहां बांधों के निर्माण, स्कूल, अस्पताल, सड़कें और अन्य संस्थानों के निर्माण में सहयोग दे रहा है।
उन्होंने कहा, 'हम अच्छे सुशासन के लिए उनके अधिकारियों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। भारत वहां अपना योगदान दे रहा है और हम जरूरत पड़ने पर इसमें विस्तार करेंगे।'
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सीतारमण ने कहा कि भारत ट्रंप की नई अफगानिस्तान नीति का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि उनकी मैटिस के साथ इस पर लाभप्रद चर्चा हुई है कि हम शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक, स्थाई और समृद्ध अफगानिस्तान के साझा उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए द्विपक्षीय सहयोग को कैसे मजबूत कर सकते हैं।
मैटिस ने अफगानिस्तान में भारत के प्रयासों को सराहा। उन्होंने कहा, 'हम विशेष रूप से भारत के अफगानिस्तान में अमूल्य योगदान को सराहते हैं और भारत के अफगानिस्तान में लोकतंत्र, स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने के प्रयासों का स्वागत करते हैं। हम क्षेत्र में साझेदारी के निर्माण में हमारे सहयोग को बढ़ाना चाहते हैं।'
मैटिस ने कहा कि दोनों देशों ने आतंकवाद से वैश्विक शांति के लिए खतरे को पहचाना है दोनों देश सहमत हैं कि आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाहों को बर्दाशत नहीं किया जाएगा।
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उन्होंने कहा, 'वैश्विक नेताओं के रूप में भारत और अमेरिका ने इस संकट को जड़ से समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है।'
अमेरिकी रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया लेकिन भारतीय रक्षा मंत्री ने साफ कहा कि आतंकी हमला चाहे मुंबई में हो या न्यूयार्क में, दोनों की जड़ में पाकिस्तान होता है।
सीतारमण ने मैटिस से उनकी पाकिस्तान यात्रा के दौरान 'इस मुद्दे पर बोलने और इसे उठाने' का आग्रह किया। मैटिस ने परमाणु गतिविधियों को लेकर उत्तर कोरिया पर बढ़ रहे दबाव के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ भारत के प्रयासों की सराहना की।
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