संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत रहा अनुपस्थित, गाजा पर हो रही थी मीटिंग
अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन और मानवाधिकारों का उल्लंघन और दुरुपयोग के खिलाफ काम करता है.
नई दिल्ली :
United Nations Human Rights Council: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में शुक्रवार को एक बड़े फैसले की बारी थी. इस मौके पर भारत ने अपनी उपस्थिति नहीं दर्ज कराई है. आपको संयुक्त राष्ट्र में इजरायल द्वारा गाजा में जारी जंग के पर रोक लगाने को लेकर अहम बैठक की जारी थी. इस मामले पर भारत ने अपनी अनुपस्थि दर्ज करा कर इजरायल का साथ दिया है. हालांकि भारत का शुरू से ही मानना रहा है कि आतंकवाद के खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए. इस मामले पर भारत के साथ-साथ जॉर्जिया, जापान और नीदरलैंड भी अनुपस्थित रहे. आपको बता दें कि गाजा में जारी जंग के बारे में पूरी दुनिया बात कर रही है. इसे रोकने के लिए हर देश अपील कर रहा है.
यहां भारत उन 13 देशों में शामिल था जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में शुक्रवार को अनुपस्थित रहे . यहां एक प्रस्ताव को अपनाया गया था जिसमें गाजा में संभावित युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराए जाने की मांग की गई थी. आपको बता दें कि फिलिस्तीनी एरिया में मानवाधिकार की स्थिति पर प्रस्ताव के पक्ष में 28 और विरोध में छह वोटों से पारित हुआ. जिसमें इजराइल पर हथियार प्रतिबंध लगाने का अपील किया गई थी. इसमें कहा गया कि सभी देशों को इजराइल को हथियारों और सैन्य उपकरणों की बिक्री और हस्तांतरण को रोकना लगाना चाहिए ताकि जंग को आगे बढ़ने से रोका जा सके. अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन और मानवाधिकारों का उल्लंघन और दुरुपयोग के खिलाफ काम करता है.
कई देश अनुपस्थित
वहीं, जब इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की ओर से पाकिस्तान द्वारा पेश प्रस्ताव को 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद में मतदान के लिए रखा गया तो भारत के साथ-साथ जॉर्जिया, जापान और नीदरलैंड भी अनुपस्थित रहे. इसके साथ ही इसके खिलाफ वोट करने वाले देशों में अमेरिका और जर्मनी भी शामिल थे. मामले के जानकार लोगों ने कहा कि भारत का बहिष्कार कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर पिछले प्रस्तावों पर उसके पारंपरिक रुख के अनुरूप था.
घटना पर चिंता जताई
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार ईकाई द्वारा अपनाए गए तीन अन्य प्रस्तावों के पक्ष में मतदान किया. इसमें फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन किया गया साथ ही कब्जे वाले सीरियाई गोलान में मानवाधिकारों पर चिंता व्यक्त की गई. वहीं फिलिस्तीनी के कब्जे वाले क्षेत्र में इजरायली बस्तियों की निंदा की गई. वेस्ट बैंक, गाजा और पूर्वी येरुशलम इसमें शामिल हैं.
दो सीनियर आर्मी कमांडरों को बर्खास्त
यह घटनाक्रम गाजा में इजरायली हमले में सात अंतरराष्ट्रीय सहायता कर्मियों की हत्या के कुछ दिनों बाद आया है, इस घटना की दुनिया भर में निंदा हुई थी. इजराइल ने अमेरिका के अभूतपूर्व दबाव के आगे घुटने टेक दिए और गाजा में नए खाद्य गलियारे खोल दिए. वहीं, जबकि इजराइली रक्षा बलों ने कहा कि सहायता कर्मियों पर हमले का आदेश देने के लिए जिम्मेदार दो वरिष्ठ सैन्य कमांडरों को बर्खास्त कर दिया गया है.
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