हिमालय की 90 चोटियों पर फतह करने में भारतीय सेना का ऐसे दिया था इजरायल ने साथ

इजरायल इससे पहले भी हिंदुस्तान की मदद करता रहा है. वो भी खुलेआम और बिना किसी शर्त के. चाहे वो करगिल का युद्ध हो या फिर 71 का भारत-पाकिस्तान वॉर

इजरायल इससे पहले भी हिंदुस्तान की मदद करता रहा है. वो भी खुलेआम और बिना किसी शर्त के. चाहे वो करगिल का युद्ध हो या फिर 71 का भारत-पाकिस्तान वॉर

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Drigraj Madheshia
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Kargil Vijay Diwas: पाकिस्तानी पत्रकार ने इस तरह किया था 'साजिश' का खुलासा

कारगिल की चोटियों पर तिरंगा लहराते भारतीय सैनिक (फाइल फोटो)

इजरायल इससे पहले भी हिंदुस्तान की मदद करता रहा है. वो भी खुलेआम और बिना किसी शर्त के. चाहे वो करगिल का युद्ध हो या फिर 71 का भारत-पाकिस्तान वॉर (India-Pakistan War) . दोनों ही युद्धों में इजरायल एक ऐसा साथी बनकर सामने आया, जिसकी मदद ने हिंदुस्तान को जीत के करीब पहुंचा दिया.  पूरी दुनिया देख रही थी कि हिंदुस्तान ने करगिल का कितना कठिन रण छेड़ा है. कितनी मुश्किल जंग छेड़ी है. हिंदुस्तान के जवानों ने जीत का एक ऐसा दुस्साहस किया था, जो पूरी दुनिया को नामुमकिन नजर आ रहा था. लेकिन हिंदुस्तान ने हिमालय की नब्बे चोटियों पर फतह लिख दी. लेकिन इस जीत में हिंदुस्तान के सबसे सच्चे साथी की भूमिका सालों बाद सामने आई. जब निकोलस ब्लारेल ने अपनी किताब में करगिल का जिक्र किया. जिसमें हिंदुस्तान का साहस और इजरायल का स्टाइल दोनों ने असर दिखाया था.

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जब करगिल में जंग छिड़ी थी तो इजरायल उन गिने चुने देशों मे से एक था. जिसने हिंदुस्तान को खुलेआम मोर्टार दिए थे. जो मोर्टार चोटी पर बैठे दुश्मनों के कैंप पर सीधे गिरे थे. इतना ही नहीं. तब इजरायल ने भारत को हथियार दिए थे. दुश्मनों का पता लगाने के लिए ड्रोन दिए थे और भारतीय जंगी जहाजों को लेजर वेपन से लैस किया था. क्योंकि इजरायल जानता था कि पहाड़ों का ये युद्ध बिना एयरफोर्स के जीता नहीं जा सकता.

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तब भारतीय एयरफोर्स के सामने दिक्कत ये थी कि वो अपनी सीमा में रहकर दुश्मन की चौकियों पर निशाना नहीं बना सकते थे. और लेजर गाइडेड मिसाइलों ने ना सिर्फ ये दिक्कत दूर की. बल्कि दुश्मन का काम तमाम कर दिया. 1948 में भारत ने इजरायल बनने का विरोध किया था और 71 तक दोनों मुल्कों में डिप्लोमैटिक रिलेशन भी नहीं थे. बावजूद इसके 71 के भारत पाक युद्ध में इजरायल ने भारत का खुलकर साथ दिया. और तब की इजरायल की प्रधानमंत्री गोल्डा मेर ने तब की भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को एक नोट लिखकर भेजा था कि वो इस मदद के बदले भारत से कूटनयिक रिश्ता रखना चाहती हैं.

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माना जाता है कि अगर कोई दोस्ती ऊपर से ही बनकर आती होगी. तो वो भारत-इजरायल जैसा रिश्ता रहता होगा-

  • भारत और इजरायल, दोनों को ही इंग्लैंड ने धर्म के आधार पर बांटा
  • दोनों ही देशों ने बंटवारे के बाद विस्थापन झेला, खूनखराबा देखा
  • दोनों ही देशों पर बंटवारे के तत्काल बाद पड़ोसियों ने हमला किया
  • भारत पर आजादी के बाद कश्मीर के लिए पाकिस्तान ने हमला किया
  • तो इजरायल पर बंटवारे के बाद अरब देशों ने हमला कर दिया था
  • दोनों ही देशों ने एक ही तरह का चरमपंथ झेला, जिसे पड़ोसी देशों ने और उकसाया
  • भारत और इजरायल के बीच में कोई भी ऐसा मुल्क नहीं है, जो वास्तव में लोकतंत्र कहला सके

साफ है कि इजरायल ने आतंक से बहुत कुछ सीखा है. और भारत ने इजरायल से बहुत कुछ सीखा है. और अब भारत की रणनीति कह रही है कि इस बार आर-पार होगा. और वो भी इजरायल के तरीके से.

Source : News Nation Bureau

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