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'भारत-पाकिस्तान के बीच तब हो सकती है सुलह, जब इस्लामाबाद करेगा आतंकवाद को खत्म'

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर मामले पर भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को इच्छुक होने की बात भी दोहराई.

Updated on: 25 Oct 2019, 10:20 PM

नई दिल्ली:

भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता की बहाली इस्लामाबाद के आतंकवादी संगठनों के खिलाफ उठाए गए 'निरंतर और स्थायी' कार्रवाई पर निर्भर करती है. अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर मामले पर भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को इच्छुक होने की बात भी दोहराई.

इसी हफ्ते दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की अमेरिकी कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस जी वेल्स ने भी कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता की राह की 'मुख्य बाधा' सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान का समर्थन देना है. उन्होंने कहा, 'उपयोगी द्विपक्षीय वार्ता फिर शुरू करने के लिए भरोसा कायम करने की आवश्यकता है और सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान का समर्थन देना इस वार्ता में मुख्य बाधा है.

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अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि अमेरिका उस माहौल को बढ़ावा देता रहेगा जो भारत-पाकिस्तान के बीच रचनात्मक वार्ता का रास्ता तैयार करे. नाम उजागर ना करने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच कायम तनाव को लेकर चिंता जाहिर की है और इस बारे में सीधे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात भी की है.

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बता दें कि पठानकोट हमले के बाद से भारत ने इस्लामाबाद से बातचीत रोक रखा है. भारत का कहना है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकता है. 5 अगस्त को जब भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किया तब दोनों देशों के बीच के रिश्तें और खराब हो गए है.