भारत अमेरिकी दबाव में आए बगैर रूस से लेकर रहेगा एस-400 मिसाइल सिस्टम
अमेरिका के 28 उत्पादों पर अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी लगाने के बाद भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह रूस से एस-400 मिसाइल समझौते पर भी बिल्कुल दबाव में नहीं आएगा.
highlights
- अमेरिका चाहता है कि भारत रूस के साथ किसी तरह के रक्षा संबंध नहीं रखे.
- हालांकि भारत राष्ट्र और सामरिक हितों को सर्वोच्च करार दे चुका है.
- माइक पांपियो की भारत यात्रा के दौरान एस-400 का उठ सकता है मसला.
नई दिल्ली.:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल में कूटनीतिक मोर्चे पर रत्ती भर भी समझौता करने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि अमेरिका के 28 उत्पादों पर अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी लगाने के बाद भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह रूस से एस-400 मिसाइल समझौते पर भी बिल्कुल दबाव में नहीं आएगा. यानी अमेरिका की आपत्ति के बावजूद भारत रूस से सैन्य समझौता रद्द नहीं करेगा. भारत ने दबे-छिपे शब्दों में स्पष्ट कर दिया है कि उसके लिए रूस से परंपरागत संबंध और देश की सुरक्षा सर्वोपरि हैं.
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माइक पांपियो उठा सकते हैं यह मसला भारत यात्रा में
गौरतलब है कि विगत दिनों इरान से तेल आपूर्ति समेत एस-400 मिसाइल समझौते पर भारतीय रुख पर टिप्पणी कर अमेरिका अपने हितों को सर्वोच्च करार दे चुका है. मोदी 2.0 सरकार के लिए कूटनीतिक स्तर पर अमेरिकी संबंधों के लिहाज से यह चुनौतीपूर्ण स्थिति है. ऐसे में जापान के ओसाका में जी-20 सम्मेलन के दौरान 28-29 जून को मोदी-ट्रंप के बीच मुलाकात होनी है. इसके पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो भारत यात्रा पर आएंगे. कूटनीतिक हलकों में कयास लगाए जा रहे हैं माइक पांपियों की यात्रा के दौरान रूस से रक्षा समझौते का मुद्दा उठ सकता है.
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रूस से संबंध पुराने और अमेरिकी संबंधों में बाधा नहीं
भारत बीते कई दशकों में अमेरिका से द्विपक्षीय संबंधों के आलोक में यह बात प्रमुखता से रखता आया है कि रूस संग स्वतंत्र रक्षा संबंध अमेरिका से भारतीय सामरिक रिश्तों के आड़े नहीं आने पाएंगे. पीएम नरेंद्र मोदी के दौर में भी भारत अमेरिका को यही समझाने का प्रयास लगातार कर रहा है कि दोनों देशों के बीच रक्षा व रणनीतिक संबंध मजबूत दिशा में हैं. बहुध्रवीय कूटनीतिक संबंधों के दौर में एक देश के दूसरे देश से संबंध किसी अन्य देश के लिए बाधक नहीं बन सकते हैं.
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अमेरिका से बढ़ रही सामरिक भागीदारी
भारत अमेरिका के साथ अपने सामरिक संबंधों को हर गुजरते साल के साथ नई ऊंचाइयां दे रहा है. अमेरिका से रक्षा व्यापार 18 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है. कई नई खरीद परियोजनाओं पर बात चल रही है. इस साल के अंत में दोनों देशों के बीच अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास भी प्रस्तावित है. इस सैन्य अभ्यास में तीनों सेनाएं हिस्सा लेंगी. ऐसे में भारत का मानना है कि रूस के साथ पहले से तय किए गए सौदों को रद्द करना किसी के हित में नहीं है. हालांकि अमेरिका चाहता है कि भारत उसके साथ सामरिक संबंधों के चलते रूस से अपने रक्षा सहयोग को सीमित करे.
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भारतीय सुरक्षा के लिए अहम करार है एस-400
गौरतलब है कि एस-400 रूस का सबसे आधुनिक मिसाइल रक्षा तंत्र है. पिछले साल रूस के साथ इस समझौते पर दस्तखत हुए थे. इसे अमेरिका के थाड सिस्टम से भी बेहतर माना जाता है. यह परमाणु क्षमता वाली 36 मिसाइलों को एक साथ नष्ट कर सकता है. यह चार सौ किलोमीटर की दूरी तक और 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक किसी भी मिसाइल या एयरक्राफ्ट को मार गिराने में सक्षम है. पड़ोसी देशों से खतरे के मद्देनजर भारत के लिए यह समझौता काफी महत्वपूर्ण है. जानकारों का कहना है कि रूस के साथ रक्षा व्यापार पहले की तुलना में कम हुआ है और अमेरिका के साथ कई गुना बढ़ा है, लेकिन अमेरिका का मानना है कि अगर भारत रूस से एस-400 जैसी अत्याधुनिक एयर डिफेंस मिसाइल खरीदता है तो उसकी अमेरिका से स्वाभाविक खरीद क्षमता पर असर पड़ेगा.
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