एफएटीएफ ने तुर्की को आतंकवाद के लिए एक नए लॉन्च पैड के रूप में किया चिह्न्ति, भारत को सतर्कता बढ़ाने की जरूरत

एफएटीएफ ने तुर्की को आतंकवाद के लिए एक नए लॉन्च पैड के रूप में किया चिह्न्ति, भारत को सतर्कता बढ़ाने की जरूरत

एफएटीएफ ने तुर्की को आतंकवाद के लिए एक नए लॉन्च पैड के रूप में किया चिह्न्ति, भारत को सतर्कता बढ़ाने की जरूरत

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने कहा है कि इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवेंट (आईएसआईएल) और अल कायदा सहित आतंकवादी संगठनों ने कोविड 19 महामारी को भुनाया है, जिसके कारण 2020 से कट्टरपंथ फैलाने और धन जुटाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर निर्भरता और उपयोग बढ़ गया है। राजस्व उत्पन्न करने के लिए कई गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का भी उपयोग किया जा रहा है।

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एफएटीएफ ने हाल ही में कहा था कि ये आतंकी संगठन अंतरराष्ट्रीय स्थिरता, सुरक्षा और शांति के लिए एक गंभीर खतरा बने हुए हैं।

अपराध विभाग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि भारतीय सुरक्षा अधिकारियों को अफगानिस्तान में बदलते भू-राजनीतिक गतिशीलता से उत्पन्न होने वाले आतंकी खतरों के बढ़ते स्तर का संज्ञान लेना चाहिए। जबकि पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बना हुआ है, चिंता की बात यह है कि तुर्की भी इसी गाड़ी में सवार हो गया है।

उन्होंने कहा, हमें यह भी समझना चाहिए कि पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बना हुआ है। इसे एक गंभीर चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए। एफएटीएफ के पास यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त कारण रहे होंगे कि इस्लामाबाद को ग्रे लिस्ट में बने रहने की जरूरत है।

अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान जून 2018 से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है, लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के साथ आज रूपरेखा अलग है।

एक अन्य अंदरूनी सूत्र ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बांग्लादेश में मंदिरों और दुर्गा पूजा स्थलों पर हाल के हमलों को पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए एक चेतावनी के रूप में काम करना चाहिए।

उनमें से एक ने कहा, वैश्विक सुरक्षा खतरे अधिक हैं और इस तरह के हमले बढ़ सकते हैं और सुरक्षा अधिकारियों के लिए चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि ऐसी घटनाएं न हों, उनका उद्देश्य क्षेत्रीय आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक ढांचे को अस्थिर करना है।

इस बीच, एफएटीएफ ने यह भी कहा कि 2020 के बाद से, आईएसआईएल और अल कायदा दोनों ने धन जुटाने, स्थानांतरित करने और तैनात करने के लिए नई भुगतान तकनीकों की ओर रुख किया है। आतंकवाद के वित्तपोषण पर नजर रखने वाले संगठन ने कहा, परिणामस्वरूप, आतंकवादियों द्वारा आभासी संपत्ति का उपयोग एक जोखिम बना हुआ है। इसके अलावा, आईएसआईएल और अल कायदा के सहयोगियों के विस्तार से उत्पन्न जोखिम पिछले वर्षों में बढ़ रहा है।

उदाहरण के लिए, आईएसआईएल के पास लगभग 25-50 मिलियन डॉलर का भंडार है। ये फंड समूह को कुछ गतिविधियों को बनाए रखने और संभावित पुनरुत्थान की तलाश में मदद करते हैं।

एफएटीएफ ने पहले कहा था कि महामारी ने अपराधों में वृद्धि की है, जिसमें धोखाधड़ी, साइबर अपराध, गलत दिशा या सरकारी धन का शोषण या अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता शामिल है, जो अवैध अभिनेताओं के लिए आय के नए स्रोत पैदा कर रहा है।

एफएटीएफ के कार्यकारी सचिव डेविड लुईस ने पहले कहा था कि संकट के दौरान, डिजिटल ऑनबोडिर्ंग का उपयोग करके 60 मिलियन से अधिक नए खाते खोले गए हैं। हालांकि, चिंताजनक बात यह है कि हर डिजिटल आईडी विश्वसनीय नहीं होती है।

(यह कंटेंट इंडिया नरेटिव डॉट कॉम के साथ विशेष व्यवस्था के तहत जारी किया जा रहा है)

--इंडियानरेटिव

एसकेके/एएनएम

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
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