भारत ने म्यांमार के साथ अपनी दोस्ती की राह में एक कदम और उठाया है। बाली के नुसा डुआ में आयोजित हुए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत ने म्यांमार के खिलाफ पारित प्रस्ताव पर साथ नहीं दिया।
अतंर्राष्ट्रीय सम्मेलन में म्यांमार के रखाइन क्षेत्र में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ भड़की हिंसा के खिलाफ निंदा प्रस्ताव रखा गया था। म्यांमार में फैली रोहिंग्या मुस्लिम उनके समुदाय पर हिंसा की वजह से लगातार पलायन कर रहे हैं।
अब तक रखाइन इलाके से करीब सवा लाख रोहिंग्या समुदाय के मुस्लिम पलायन कर बांग्लादेश जा चुके हैं। इंडोनेशिया दौरे पर भारत का संसदीय प्रतिनिधिमंडल गया हुआ है जिसका नेतृत्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन कर रही है।
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उनके नेतृत्व में इस प्रतिनिधिमंडल ने यहां हुए 'बाली घोषणा पत्र' से खुद को अलग रखा है। भारत का यह प्रतिनिधिमंडल दीर्घकालिक विकास के मुद्दे पर चर्चा के लिए आयोजित हुए 'वर्ल्ड पार्लियामेंट्री फोरम' में शिरकत करने आया हुआ है।
इसी सम्मेलन में म्यांमार के खिलाफ यह प्रस्ताव पारित हुआ है। इस मुद्दे पर लोकसभा सचिवालय ने प्रेस रीलिज़ जारी कर बताया है कि क्योंकि यहां आयोजित फोरम में म्यांमार पर जो प्रस्ताव घोषित किया गया, वो पहले से तय कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था इसीलिए भारत ने इससे खुद को दूर रखा है।
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ध्यान देने वाली बात यह है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार की दो दिवसीय यात्रा पर गए थे जहां दोनों देशों के बीच 11 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे। इस दौरे पर भी पीएम मोदी ने म्यांमार में जारी रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा के खिलाफ अपनी चिंता जाहिर की थी।
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Source : News Nation Bureau