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India Oil Import: भारत की अमेरिका को दो टूक, वो किसी के दबाव में नहीं आएगा

भारत सरकार ने साफ शब्दों में कहा कि उसके ऊपर किसी भी देश का प्रेशर नहीं है.

Updated on: 05 Apr 2024, 04:54 PM

नई दिल्ली :

India Oil Import: रूस और यूक्रेन के बीच जंग पिछले दो सालों से जारी है. एक और जहां दुनिया के कई देश रूस से तेल खरीदना बंद कर चूके हैं. वहीं, भारत ने रूस के साथ क्रूड ऑयल इंपोर्ट को न सिर्फ जारी रखा है बल्कि इससे और अधिक मात्रा में खरीद रहा है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जहां एक और युद्ध से पहले भारत सिर्फ 1 फिसदी तेल ही खरीदता था. लेकिन साल 2023 में इराक और साऊदी अरब के साथ खरीद को कम करते हुए रूस सबसे बड़ा ऑयल पार्टनर बन गया. भारत का रूस के साथ तेल की खरीदारी 30 फिसदी तक पहुंच गया. इतना ही नहीं पिछले साल जुलाई महीने में ये 40 फिसदी तक जा पहुंचा.

आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच जंग के बाद से ही अमेरिका रूस के खफा है. अमेरिका ने कहा है कि रूस से कोई भी देश तेल और हथियार न खरीदें अगर कोई देश ऐसा करता है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. लेकिन भारत ने इन सब बातों को दरकिनार करते हुए रूस के के साथ तेल की खरीद जारी रखा. अब भारत सरकार की ओर से इस पर बयान सामने आया है. भारत सरकार का कहना है कि वो जैसे वो पहले रूस के साथ क्रूड ऑयल खरीदता था वैसे ही खरीदते रहेगा. भारत सरकार ने बिना नाम लिए अमेरिका को बता दिया कि वो किसी के दबाव में नहीं आने वाला है. भारत अपनी एनर्जी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किसी भी देश के साथ व्यापार जारी रखेगा. 

भारत 39 देशों के साथ खरीद रहा तेल

भारत सरकार ने साफ शब्दों में कहा कि उसके ऊपर किसी भी देश का प्रेशर नहीं है. बल्कि खरीदारी के लिए कुछ देशों तक ही सीमित नहीं रहना चाहता है. इस लिए खरीदने के तरीके में बदलाव किया जा रहा है. पिछले कुछ साल में भारत सरकार ने अपने एनर्जी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कई देशों के साथ एग्रीमेंट किए हैं इसमें पुराने सहित कुछ नए देश भी शामिल हैं. आपको बता दें फिलहाल भारत 39 देशों के साथ क्रूड ऑयल खरीद रहा है. 

भारत में बने प्रेटोलियम प्रोडक्ट यूरोप खरीदता है

इस मामले पर अमेरिका का कहना है कि अगर भारत रूस से तेल खरीदकर अपने देश में ही रिफाइन करता है तो उसे कोई ऐतराज नहीं है. इस तेल को रूस का तेल नहीं कहा जा सकता है. आपको बता दें भारत में बने पेट्रोलियम प्रोडक्ट को यूरोपीय देश खरीदते हैं. अमेरिका चाहता है कि पूरी दुनिया में क्रूड ऑयल के रेट एक समान हो. इसी को ध्यान में रखते हुए जी-7 देशों ने रूस से तेल के रेट को लेकर एक बेस प्राइस तय किया है.