'भारत को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के लिए उच्च शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत'

भारतीय विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वह दूरदर्शिता और मिशन की फिर से कल्पना करें ताकि देश के सामाजिक और आर्थिक विकास पर अधिक ध्यान देने के साथ राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों को पूरा किया जा सके.

भारतीय विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वह दूरदर्शिता और मिशन की फिर से कल्पना करें ताकि देश के सामाजिक और आर्थिक विकास पर अधिक ध्यान देने के साथ राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों को पूरा किया जा सके.

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Aditi Sharma
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अर्थव्यवस्था( Photo Credit : फाइल फोटो)

ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर सी. राज कुमार ने कहा कि नवाचार, आर्थिक विकास और सामाजिक विकास के लिए विश्वविद्यालय इंजन के समान हैं. भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए 10-बिंदु महत्वाकांक्षी विकास और सुधार योजना की रूपरेखा को उल्लेखित करते हुए शुक्रवार को यहां एक कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कही. उनका मत है कि यह योजना भारतीय विश्वविद्यालयों को उत्कृष्टता हासिल करने और वैश्विक रैंकिंग में आगे बढ़ने में सक्षम बनाएगी. भारतीय विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वह दूरदर्शिता और मिशन की फिर से कल्पना करें ताकि देश के सामाजिक और आर्थिक विकास पर अधिक ध्यान देने के साथ राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों को पूरा किया जा सके.

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प्रोफेसर सी. राज कुमार ने कहा, 'भारत को विश्व स्तर के विश्वविद्यालयों की आवश्यकता है, जिससे सभी विषयों में उत्कृष्ट स्नातक निकलेंगे. भारतीय विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वह अनुसंधान, नवाचार और मानव विकास के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन करने में मदद करें.' उन्होंने कहा, 'भारत को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के लिए उच्च शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है.'

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प्रोफेसर ने कहा, '35 साल से कम उम्र के 85 करोड़ युवाओं के माध्यम से हमारी अर्थव्यवस्था और समाज पर सकारात्मक प्रभाव तभी पड़ सकता है, जब हमारे पास गुणवत्तापूर्ण शिक्षा होगी जो अनुसंधान करने के साथ समस्याओं को हल करेगी और नौकरी के अवसरों का नेतृत्व करेगी.' गौरतलब है कि भारत का एक भी विश्वविद्यालय दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में से नहीं है. जबकि अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया के अलावा एशिया में चीन, जापान, हांगकांग, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और ताइपे के कई विश्वविद्यालय इस सूची में शामिल हैं.

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