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सांकेतिक चित्र( Photo Credit : (फाइल फोटो))
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सांकेतिक चित्र( Photo Credit : (फाइल फोटो))
अमेरिका के भारी दबाव को नकारते हुए भारत ने रूस से खरीदे जाने वाले एस-400 मिसाइल सिस्टम सौदे के तहत 15 फीसदी अग्रिम राशि अदा कर दी है. मोदी सरकार ने मास्को को एस-400 के लिए 85 करोड़ डॉलर अदा किए थे. अक्टूबर 2018 में भारत-रूस ने 5.4 बिलियन डॉलर के खर्च पर एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सौदा किया था. गुरुवार को ही रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन का भी बयान आ गया कि भारत और रूस के बीच पांच एस-400 मिसाइल की खरीद को लेकर हुआ समझौता सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. भारत को पांच एस-400 मिसाइल सही समय पर मिल जाएंगी.
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अमेरिका नहीं चाहता डील हो
गौरतलब है कि इस डील पर अमेरिका की भी नजर लगी हुई हैं. वह लगातार इसके लिए भारत और रूस के लिए धमकी भरे शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि वह इस सौदे को करने की दिशा में आगे बढ़ेगा. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस डील की संवेदनशीलता को देखते हुए पूरे मिसाइल तंत्र के विवरण में ज्यादा जानकारी नहीं दी गई. पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी चेतावनी को देखते हुए भारत और रूस ने इसका पैमेंट रुपए और रुबल में करने का तरीका विकसित किया है. कुछ पेमेंट यूरो में भी किया गया.
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2025 तक मिल जाएगा पूरा सिस्टम
इस सौदे से जुड़े सूत्र के अनुसार, इस पूरे सुरक्षा तंत्र के 2025 तक डिलीवर होने की संभावना है, लेकिन नए पैमेंट के बाद अब पहला एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम 16 से 18 महीने में भारत को मिल जाएगा. रूस के अधिकारियों के मुताबिक 2020 तक पहला सिस्टम मिल जाएगा. इसके बाद अगले पांच साल में इसकी डिलिवरी पूरी हो जाएगी.
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भारत के लिए इसिलए जरूरी है
एस-400 मिसाइल सिस्टम से भारत को रक्षा कवच मिल जाएगा. ये किसी भी मिसाइल हमले को ध्वस्त कर सकता है. इस सिस्टम से भारत पर होने वाले परमाणु हमले का भी जवाब दिया जा सकेगा. अर्थात यह डिफेंस सिस्टम भारत के लिए चीन और पाकिस्तान की परमाणु हथियारों से सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों से कवच की तरह काम करेगा. यहां तक कि यह सिस्टम पाकिस्तान की सीमा में उड़ रहे विमानों को भी ट्रैक कर सकेगा.
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अमेरिका बना रहा है लगातार दबाव
अमेरिका भारत पर इस डील को तोड़ने का लगातार दबाव बना रहा है. इतना ही नहीं वह लगातार भारत से कह रहा है कि वह रूस से किसी भी तरह के सैन्य हथियार न खरीदे. भारत अभी 60 फीसदी सैन्य उपकरण रूस से खरीदता है. अमेरिकी अधिकारियों ने ये भी चिंता व्यक्त की है कि एस-400 अमेरिकी मूल के सैन्य उपकरणों और भारत द्वारा उपयोग किए जाने वाले हवाई प्लेटफार्मों पर कब्जा कर सकता है.
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माइक पांपियो और एस जयशंकर के बीच भी हुई वार्ता
अक्टूबर में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर बीच हुई मीटिंग में भी इसका मुद्दा उठा था. तब भारत ने अपनी संप्रभुता की बात कही थी. तब जयशंकर ने कहा कोई देश किसी को ये नहीं कह सकता कि आप रूस से हथियार नहीं खरीद सकते. भारतीय अधिकारियों ने यह भी कहा है कि देश एस-400 सौदे पर अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट के मापदंड को पूरा करता है. इसके अलावा भारत मास्को के साथ लंबे समय से कायम रक्षा संबंधों को ऐसे नहीं तोड़ सकता.
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