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पाक, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के 3117 अल्पसंख्यकों को दी गई नागरिकता

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हिंदू, सिख, जैन और ईसाई अल्पसंख्यक समूहों से नागरिकता हेतु कुल 8,244 आवेदन प्राप्त हुए और इनमें से 3,117 व्यक्तियों को भारत में नागरिकता प्रदान की गई है.

Updated on: 23 Dec 2021, 09:32 AM

highlights

  • पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के थे अल्पसंख्यक
  • प्राप्त हुए थे 8 हजार आवेदन, 10 हजार से ज्यादा लंबित

नई दिल्ली:

सरकार ने बुधवार को संसद में बताया कि पिछले चार साल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 8,244 अल्पसंख्यकों ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया था और इस दौरान इनमें से 3,117 व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी. भारतीय नागरिकता संबंधी लंबित आवेदनों के बारे में पूछे जाने पर राय ने कहा कि 14 दिसंबर, 2021 की स्थिति के अनुसार कुल 10, 635 आवेदन अभी लंबित हैं. 

8,244 आवेदन हुए थे प्राप्त
उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2018 से 2021 के दौरान पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हिंदू, सिख, जैन और ईसाई अल्पसंख्यक समूहों से नागरिकता हेतु कुल 8,244 आवेदन प्राप्त हुए और इनमें से 3,117 व्यक्तियों को भारत में नागरिकता प्रदान की गई है.’ एक अन्य सवाल के जवाब में राय ने कहा कि वर्ष 2016 से 2020 के दौरान कुल 4177 लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है जबकि नागरिकता के लिए 10,635 आवेदन फिलहाल लंबित हैं.

2021 के आंकड़े नहीं हैं उपलब्ध
वर्ष 2016 से 2020 के दौरान भारतीय नागरिकता प्रदान किए जाने वाले लोगों का ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2016 में 1106, 2017 में 817, 2018 में 628, 2019 में 987 और 2020 में 639 व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है. इस अवधि में अब तक 4177 लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है.’ वर्ष 2021 के कितने लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई, इसका केंद्रीय मंत्री ने कोई ब्योरा नहीं दिया.

10 हजार से ज्यादा आवेदन लंबित
भारतीय नागरिकता संबंधी लंबित आवेदनों के बारे में पूछे जाने पर राय ने कहा कि 14 दिसंबर 2021 की स्थिति के अनुसार कुल 10, 635 आवेदन अभी लंबित हैं. उनके मुताबिक सबसे अधिक 7306 आवेदन पाकिस्तान के लंबित हैं. इसके बाद अफगानिस्तान के 1152 आवेदन लंबित है. 428 आवेदन ऐसे लोगों के हैं जो राज्यविहिन हैं.