पीएम मोदी के चीन दौरे से पहले भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में साफ कर दिया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट वन बेल्ट वन रोड का हिस्सा नहीं बनेगा।
बीजिंग में एससीओ के 8 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में चीन ने अपने इस प्रोजेक्ट के लिए भारत को मनाने की कोशिश की लेकिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने साफ कर दिया कि भारत इसका समर्थन नहीं करेगा जबकि बाकी तमाम देश चीन के इस प्रोजेक्ट को अपना समर्थन दे रहे हैं।
बैठक खत्म होने के बाद कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने साझा बयान जारी कर चीन के प्रस्तावित वन रोड वन बेल्ट प्रोजेक्ट को समर्थन देने का ऐलान किया।
इसके बाद भारत का नाम उन देश की सूची से साफ तौर पर गायब था जिन्होंने वन बेल्ट वन रोड का समर्थन किया था जिसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) भी एक हिस्सा है।
एससीओ सदस्य देशों की तरप से साझा बयान में कहा गया, 'सभी पार्टियां एससीओ क्षेत्र में व्यापक, पारदर्शी, परस्पर लाभकारी भागीदारी स्थापित करने के लिए इस क्षेत्र में देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और बहुपक्षीय संस्थानों की क्षमता का उपयोग करने का समर्थन करती है।'
भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने चीनी और रूसी भाषाओं में जारी किए गए संयुक्त बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
गौरतलब है कि जून महीन में चीन के किंगदाओं में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन के एजेंडे पर विचार करने और उसे मंजूरी देने के लिए एससीओ सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की यह बैठक बुलाई गई थी। पीएम मोदी के इस शिखर सम्मलेन में हिस्सा लेने की संभावना है।
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एससीओ बैठक के दौरान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने वाले शी जिनपिंग के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सीपीईसी का मुखरता से विरोध किया। चीन के इस परियोजना की कीमत करीब 50 अरब अमेरिकी डॉलर है।
भारत ने बीते साल बीजिंग में आयोजित बेल्ट और रोड फोरम (बीआरएफ) का बहिष्कार किया था ताकि इस परियोजना को लेकर वह अपना विरोध दर्ज करा सके।
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Source : News Nation Bureau