आतंकवाद को समर्थन दे रहे पाकिस्तान को भारत राजनयिक रूप से दुनिया में अलग-थलग करने के साथ ही उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने पर भी विचार कर रहा है।
पाकिस्तान को अलग-थलग करने की दिशा में बढ़ने के साथ ही सीमा पार से जारी आतंकवाद को उसके कथित समर्थन को लेकर पड़ोसी देश के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है। एक अमेरिकी रक्षा इंटेलिजेंस के प्रमुख ने इसकी जानकारी अमेरिकी सांसदों को दी है।
अमेरिका के एक उच्च अधिकारी और रक्षा खुफिया एजेंसी के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विंसेंट स्टिवार्ट ने सीनेट की ताकतवर सशस्त्र समिति को विश्वव्यापी खतरों पर हुई सुनवाई के दौरान बताया, ‘भारत पाकिस्तान को राजनयिक रूप से अलग-थलग करने की दिशा में कदम उठाने के साथ ही सीमा पार से जारी आतंकवाद को कथित समर्थन को लेकर पाकिस्तान के कड़े विकल्पों पर भी विचार कर रहा है।’
स्टीवार्ट के बयान से एक दिन पहले भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तानी ठिकानों पर ‘दंडात्मक सैन्य हमला’ किया था जिसमें पाकिस्तान के कई बंकर तबाह हो गए हैं।
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उन्होंने कहा कि भारत वृह्त्तर हिंद महासागर क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा के लिए अपने आप को बेहतर स्थिति में रखने के लिये अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। साथ ही वह एशिया में अपनी राजनयिक और आर्थिक पहुंच को भी मजबूत कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में पिछले कुछ सालों में आतंकी गतिविधियों के कारण ज्यादा खराब हुए हैं।
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उन्होंने कहा, ‘भारत में लगातार आतंकी हमलों का खतरा बना हुआ है, कश्मीर में हिंसा और द्विपक्षीय राजनयिक आरोप प्रत्यारोप से 2017 में भारत और पाकिस्तान के रिश्ते और ज्यादा खराब होंगे।’
सेना के कैंप पर हमले के कारण भारत ने पिछले वर्ष सितंबर में नियंत्रण रेखा के पार आतंकियों के खिलाफ अभियान छेड़ा था जो काफी सुखिर्यों में रहा था।
स्टिवार्ट ने कहा, '2016 में भारत और पाकिस्तान के बीच भारी गोलाबारी हुई, दोनों पक्षों ने तनाव के बीच एक-दूसरे के राजनयिकों को निकाला था।'
स्टीवर्ट ने सांसदों को यह भी बताया कि साल 2017 में पाकिस्तान देश की पश्चिमी सीमा पर पारंपरिक आतंकवाद विरोधी अभियानों की रणनीति में बदलाव कर आतंकवाद विरोधी और अर्धसैन्य अभियान चला सकता है। उन्होंने कहा कि इससे पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों में कमी आने की संभावना है।
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पाकिस्तान के परमाणु जखीरे के लगातार बढ़ने का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसकी संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन साथ ही यह भी कहा, ‘इस्लामाबाद अपनी परमाणु सुरक्षा में सुधार के लिए कदम उठा रहा है, साथ ही वह अपने इस कार्यक्रम के प्रति आतंकवादियों के खतरे को भी जानता है।'
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Source : News Nation Bureau