भारत-चीन संबंध तनाव में, नीति में सुधार की ज़रूरत: पूर्व एनएसए मेनन

चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग की भारत यात्रा से पहले पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने भारत-चीन संबंधों में सुधार लाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि बदले हुए हालात में भारत और चीन के संबंध तनाव में हैं और इसमें सुधार की ज़रूरत है।

चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग की भारत यात्रा से पहले पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने भारत-चीन संबंधों में सुधार लाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि बदले हुए हालात में भारत और चीन के संबंध तनाव में हैं और इसमें सुधार की ज़रूरत है।

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Jeevan Prakash
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भारत-चीन संबंध तनाव में, नीति में सुधार की ज़रूरत: पूर्व एनएसए मेनन

चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग की भारत यात्रा से पहले पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने भारत-चीन संबंधों में सुधार लाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि बदले हुए हालात में भारत और चीन के संबंध तनाव में हैं और इसमें सुधार की ज़रूरत है। पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन का कहना है कि 1988 में संबंधों को सुधारने के लिये राजीव गांधी और चीन सरकार के बीच हुए करार में बदलाव की ज़रूरत है।

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मेनन ने कहा, “भारत और चीन के रिश्तों में तनाव है, आप इस तनाव को महसूस कर सकते हैं, चाहे मसूद अज़हर का मामला हो या फिर एनएसजी का मामला मुझे इन्हें गिनाने की ज़रूरत नहीं है।”

मेनन ने कहा, “ ये संकेत भारत और चीन के रिश्तों में तनाव को दर्शाते हैं। जाहिर है दोनों के बीच में उचित रणनीतिक संवाद नहीं हो रहा है।”
हालांकि उन्होंने दोनों देशों के संबंधों को लेकर निराशा ज़ाहिर नहीं की। उन्होंने अपनी किताब “च्वायसेज़:इनसाइड दि मेकिंग ऑफ इंडियाज़ फॉरेन पॉलिसी” में कहा, “मैं दोनों देशों के संबंधों को लेकर निराशावादी नहीं हूं।”

मेनन पूर्व विदेश सचिव रहे हैं और रिटायरमेंट के बाद वे देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी रहे। वर्तमान विदेश नीति के बारे में उन्होंने कहा, “विदेश नीति पर मोदी सरकार ने निरंतरता बना रखी है।”

"सरकार ने कई सारे कदम उठाए हैं, बांग्लादेश के साथ लैंड बाउंड्री समझौता उसका एक उदाहरण है। अमेरिका के साथ संबंधों को लेकर जो कदम उठाए जा रहे हैं और ऐक्ट ईस्ट से लुक ईस्ट तक की नीतियों में निरंतरता दिख रही है।.....और ये अच्छी बात है। इससे जाहिर होता है कि ये भारत की नीति है और इसे आगे ले जाया जाएगा।"

मेनन ने कहा, “लेकिन इसकी सीमा भी है, अगर परिस्थिति बदलती है तो। एशियाई क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदल रहा है, चीन का बढ़ती ताकत के मद्देनज़र रिश्तों में बदलाव की ज़रूरत है।”

मेनन ने कहा कि वर्तमान नीति जो राजीव गांधी के समय में 1988 में तय की गई थी वो अब लगभग तीस साल पुरानी हो चुकी है और उतनी प्रभावी नहीं रही, उसमें बदलाव की ज़रूरत है।

1988 में हुए करार के बारे में उन्होंने कहा, “मूलरूप से इसमें ये था कि दोनों देशों के बीच जो भी जटिल मुद्दे हैं उन पर चर्चा की जाएगी और उन्हें उन मुद्दों पर रोड़ा नहीं बनने देंगे, जिनपर हम सहयोग कर संबंधों को मज़बूत कर सकते हैं। इस तरह से चीन हमारा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बन पाया है। न सिर्फ ये बल्कि जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे पर भी हम साथ हैं।”

Source : News Nation Bureau

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