भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बेहद खतरनाक स्थिति में है. सैन्य स्तर से लेकर राजनीतिक स्तर तक की बातचीत होने के बावजूद चीन निरंतर सरहद में घुसने की कोशिश कर रहा है तो भारतीय जवान भी उसके इरादों को नाकाम याद करने के लिए डटकर खड़े हैं. बीते दिनों भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच सीमा पर लंबे समय से चल रहे गतिरोध के समाधान के लिये पांच सूत्रीय योजना पर सहमत बनी, मगर बावजूद इसके पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले बिंदुओं पर स्थिति में कुल मिलाकर कोई बदलाव नहीं है.
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सूत्र बताते हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. भारत और चीनी सैनिक अपनी-अपनी जगह पर मजबूती से कायम हैं. हालांकि चीनी सैनिकों की तरफ से कोई नई हलचल नहीं दिखी है. सूत्रों का कहना है कि भारतीय सेना अपनी चौकसी में कमी नहीं करेगी और जब तक जमीनी स्थिति में वास्तविक बदलाव नजर नहीं आता तब तक पूर्वी लद्दाख में बेहद उच्च स्तरीय युद्धक चौकसी की मौजूदा स्थिति बरकरार रखी जाएगी.
सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों की सेनाओं के बीच बहु-अपेक्षित कोर कमांडर स्तरीय वार्ता के लिये अभी कोई तारीख तय नहीं की गई है, मगर इसके अगले कुछ दिनों में होने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि सैन्य वार्ता तनाव कम करने के लिए पांच मुद्दों पर बनी सहमति के कुछ प्रावधानों के क्रियान्वयन पर केंद्रित होगी. बताते चलें कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच पिछले गुरुवार को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के इतर हुई बातचीत में सीमा विवाद के समाधान के लिए एक सहमति बनी थी.
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समझौते में सैनिकों की तेजी से वापसी, तनाव और बढ़ाने वाली कार्रवाई से बचना, सीमा प्रबंधन पर सभी प्रोटोकॉल और समझौतों का पालन और एलएसी पर शांति बहाली के लिए कदम उठाने जैसे उपाय शामिल हैं. इसमें यह भी कहा कि दोनों पक्षों को सीमा पर शांति बढ़ाने के लिए विश्वास बहाली के नए उपायों को पूरा करने के लिए तेजी से काम करना चाहिए. हालांकि इस समझौते में सैनिकों की वापसी के लिए किसी समयसीमा का उल्लेख नहीं है.
Source : News Nation Bureau