भारत-चीन शिखर सम्मेलन तमिलनाडु के महाबलीपुरम में होने जा रही है. यह जगह चेन्नई से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसे भारतीय प्राचीन इतिहास के श्रेष्ठ स्थापत्य वाले मंदिरों के शहर के रूप में भी जाना जाता है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि समुद्र तट पर बने ये मंदिर समूह चट्टानों को काट कर बनाए गए हैं. ये मंदिर यहां के शासक पल्लव राजाओं ने करीब सातवीं सदी में बनवाए थे. पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इन जगहों का अवलोकन करने की आशा है.
पत्थरों में है एक घड़ी
पत्थरों में कविता तराशने जैसा काम करने वाले मूर्तिकारों ने यहां एक घड़ी का भी निर्माण किया था. इसके सैकड़ों सालों बाद आज इस्तेमाल होने वाली घड़ी की ईजाद की गई. प्रसिद्ध पुरातत्वविद् टी. सत्यमूर्ति बताते हैं कि इन मंदिरों का निर्माण में अपने अद्भुत कला कौशल का परिचय देने वाले कारीगरों ने अपनी समकालीन कला को बहुत पीछे छोड़ दिया.
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के इस पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद ने बताया कि भगवान शिव से पशुपतिअस्त्र हासिल करने के लिए अर्जुन की तपस्या करने को उकेरने वाली मूर्ति की भव्यता की मिसाल नहीं मिलती. इनमें 64 देवी-देवता, एक मंदिर, 13 मनुष्य, 10 हाथी, 16 शेर, 9 हिरण, 2 भेड़, 2 कछुए, 1 खरगोश, 1 जंगली सुअर, 1 बिल्ली, 13 चूहे, हैं, 7 पक्षी, 4 बंदर, 1 इगुआना (दोहरी जीभ वाली छिपकली) और 8 पेड़ बनाए गए हैं.
यहां 4 भुजाओं वाली भगवान शिव की मूर्ति है जिसमें उनका निचला हाथ वरद-मुद्रा में दिखाई देता है, जिसमें अर्जुन को वरदान दिया जा रहा है. गौरतलब है कि चीनी प्रमुख 11-12 अक्टूबर को भारत दौरे पर रहेंगे. वह 11 अक्टूबर को वह चेन्नई पहुंचेंगे. सत्यमूर्ति बताते हैं कि शैवमत के प्रभाव वाले इस मंदिर में शिव की प्रतिमा में जो जटाएं दिखाई गई हैं उनमें चंद्रमा का अलंकरण उत्तम ढंग से हुआ है और वे चारों तरफ से गणों यानी परिचारकों से घिरे नजर आते हैं. इन सभी को बहुत कुशलता से तराशा गया है. इसके अलावा यहां एक विष्णु मंदिर भी है.
Source : News Nation Bureau