सिंगापुर में बोले पीएम मोदी, भारत और चीन के सहयोग पर टिका है एशिया और दुनिया का भविष्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अगर भारत और चीन एक दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील होते हुए मिलकर काम करें एशिया और विश्व का एक बेहतर भविष्य हो सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अगर भारत और चीन एक दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील होते हुए मिलकर काम करें एशिया और विश्व का एक बेहतर भविष्य हो सकता है।

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pradeep tripathi
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सिंगापुर में बोले पीएम मोदी, भारत और चीन के सहयोग पर टिका है एशिया और दुनिया का भविष्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अगर भारत और चीन एक दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील होते हुए मिलकर काम करें एशिया और विश्व का एक बेहतर भविष्य हो सकता है।

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सिंगापुर की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री ने शांगरी-ला डायलॉग के दौरान दिया गया ये बयान चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिन से उनकी अनौपचारिक मुलाकात के एक महीने के बाद आया है। जिसमें दोनों पक्षों ने आपसी विश्वास को बढ़ाने पर जोर दिया था।

उन्होंने कहा, 'अप्रैल में चीन के राष्ट्रपति शी से दो दिन की अनौपचारिक मुलाकात में इस समझ को बल मिला कि दोनों देशों के बीच मजबूत और स्थायी संबंध विश्व की की शांति और विकास के लिये बेहतर होगा।'

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, 'मैं इस बात में विश्वास करता हूं कि एशिया और दुनिया का अच्छा भविष्य होगा, यदि भारत और चीन एक दूसरे के प्रति संवेदनशील होते हुए भरोसे और आत्मविश्वास के साथ मिलकर काम करें।'

उन्होंने अपने भाषण में कहा, 'एशिया में शत्रुता इस क्षेत्र को पीछे ले जाएगी जबकि सहयोग इस सदी को बेहतर करेगी।'

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प्रधानमंत्री ने कहा भीरत और चीन ने सीमा पर शांति और मुद्दों को लेकर काफी परिपक्वता दिखाई है और साथ ही कहा कि दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा, 'भारत का किसी के साथ संबंधों की उतनी परतें नहीं हैं जितनी कि चीन के साथ हैं। हम तेजी से आर्थिक प्रगति कर रहे दुनिया के दो सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश हैं। हमारे बीच सहयोग बढ़ रहा है।'

देशों के बीच प्रतिस्पर्धा को लेकर उन्होंने कहा कि ये एक अच्छी बात है लेकिन प्रतिस्पर्धा संघर्ष में नहीं बदलनी चाहिये और न हीं उसे विवाद का रूप लेना चाहिये।

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इंडो-पैसिफिक की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बातचीत से समान नियम आधारित व्यवस्था बनाई जानी चाहिये और ये सभी के लिये बराबर होनी चाहिये।

उन्होंने कहा, 'ऐसी व्यवस्था का संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता में विश्वास होना चाहिये। साथ ही सभी देशों के लिये बराबरी का हो चाहे वो छोटा हो या बड़ा। ये नियम सभी की सहमति के आधार पर होनी चाहिये, न कि कुछ ताकतवर लोगों के कहने से।'

चीन जिस तरह से इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है ऐसे में कई देश अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत मुक्त इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की बात कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'आज हमें विभाजित और प्रतिस्पर्धा से ऊपर उठ कर काम करने के लिये कहा जा रहा है।'

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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत इस क्षेत्र को किसी रणनीति या कुछ सदस्यों के क्लब की तरह नहीं देखता है।

उन्होंने कहा, '... न ही ये ग्रुपिंग अपना प्रभाव दिखाना चाहता है... और किसी भी तरह से इसे किसी देश के खिलाफ लक्ष्य करके देखते हैं। ऐसे में इंडो-पैसिफिक के लिये भारत का विज़न सकारात्मक है।'

उन्होंने सोची में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से हुई मुलाकात का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उनके साथ चर्चा के दौरान भारत की सोच के बारे में बताया और एक बहुध्रुवीय व्यवस्था की बात की जो चुनौतियों का सामना कर सके।

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Source : News Nation Bureau

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