LAC पर भारत-चीन के बीच युद्ध जैसे हालात, टैंकों और सैनिकों की हो चुकी तैनाती
आपको बता दें कि इसके पहले भारतीय सैनिकों ने एलएसी पर चुशुल के पास पैंगॉन्ग त्सो के दक्षिणी तट के पास ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर अपनी पहुंच स्थापित कर ली है.
नई दिल्ली:
भारत और चीन के बीच लद्दाख की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर हालात जंग की तरह दिखाई दे रहे हैं. दोनों तरफ की सेनाओं ने एलएएसी के पास आधुनिका हथियारों के जखीरे के साथ टैंक्स और सेना का जमावड़ा कर लिया है, और एयरफोर्स की ताकत भी बढ़ाई जा रही है.चीन ने पूर्वी लद्दाख के पैंगॉन्ग त्सो के दक्षिणी हिस्से में स्पैंगगुर गैप में हजारों सैनिकों, टैंकों-होवित्जर तोपों को जुटा लिया है. चीनी सैनिक भारतीय जवानों से राइफल रेंज के भीतर तैनात हैं.
सूत्रों का कहना है कि चीन की ओर से की गई तैनाती के बाद से भारतीय सैनिक हाई अलर्ट पर हैं. लद्दाख में LAC पर भारत-चीन के बीच तनाव बना हुआ है. लंबे वक्त से सीमा पर चल रहे विवाद को निपटाने के लिए शनिवार को चुशुल में ब्रिगेड- कमांडर स्तर की वार्ता निर्णायक नहीं रही.
चीन ने पूर्वी लद्दाख के पैंगॉन्ग त्सो के दक्षिणी हिस्से में स्पैंगगुर गैप में हजारों सैनिकों, टैंकों-होवित्जर तोपों को जुटा लिया है। चीनी सैनिक भारतीय जवानों से राइफल रेंज के भीतर तैनात हैं। सूत्रों का कहना है कि चीन की ओर से की गई तैनाती के बाद से भारतीय सैनिक हाई अलर्ट पर हैं। pic.twitter.com/5BRR3Ykvy5
— IANS Hindi (@IANSKhabar) September 12, 2020
आपको बता दें कि इसके पहले भारतीय सैनिकों ने एलएसी पर चुशुल के पास पैंगॉन्ग त्सो के दक्षिणी तट के पास ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर अपनी पहुंच स्थापित कर ली है. इसके बाद चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने 30 अगस्त से स्पैंगगुर गैप में उत्तेजक सैन्य तैनाती की है, जो कि गुरुंग हिल और मागर हिल के बीच स्थित है.
इसके पहले भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में चार महीने से जारी गतिरोध को दूर करने के लिए सुरक्षा बलों को सीमा से ‘जल्द’ पीछे हटाने और तनाव बढ़ाने की आशंका वाली किसी भी कार्रवाई से बचने समेत पांच सूत्री खाके पर सहमति जताई थी. दोनों देशों ने स्वीकार किया था कि सीमा पर मौजूदा स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है. विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच बृहस्पतिवार की शाम हुई वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच समझौता हुआ.
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने की थी मुलाकात
जयशंकर और वांग ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इतर मॉस्को में मुलाकात की. यह बातचीत ढाई घंटे तक चली. दोनों देशों के बीच एक सप्ताह में दूसरी बार उच्च स्तरीय संपर्क हुआ है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि पांच सूत्री समझौता सीमा पर मौजूदा हालात को लेकर दोनों देशों के नजरिए का मार्गदर्शन करेगा. विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार तड़के एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी की. इस बयान में कहा गया कि दोनों विदेश मंत्री इस बात पर सहमत हुए कि मौजूदा स्थिति किसी के हित में नहीं है. वे इस बात पर सहमत हुए कि सीमा पर तैनात दोनों देशों की सेनाओं को बातचीत जारी रखनी चाहिए, उचित दूरी बनाए रखनी चाहिए और तनाव कम करना चाहिए. पांच सूत्री समझौते में सैनिकों के पीछे हटने और शांति-सौहार्द्र बहाल करने के लिए समय सीमा का जिक्र नहीं किया गया है.
दोनों देश करेंगे नियमों का पालन
बयान में कहा गया कि दोनों मंत्री इस बात पर सहमत हुए कि दोनों पक्ष चीन-भारत सीमा मामले संबंधी सभी मौजूदा समझौतों और नियमों का पालन करेंगे, शांति बनाए रखेंगे तथा किसी भी ऐसी कार्रवाई से बचेंगे, जो तनाव बढ़ा सकती है. जयशंकर और वांग वार्ता में इस बात पर सहमत हुए कि जैसे ही सीमा पर स्थिति बेहतर होगी, दोनों पक्षों को सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाने के लिए नए विश्वास को स्थापित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ना चाहिए.सरकारी सूत्रों ने बताया कि वार्ता में भारतीय पक्ष ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन द्वारा बड़ी संख्या में बलों और सैन्य साजो सामान की तैनाती का मामला उठाया और अपनी चिंता जताई. सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि चीनी पक्ष बलों की तैनाती के लिए विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं दे सका. सूत्रों के अनुसार, भारतीय पक्ष ने जोर दिया कि तात्कालिक कार्य यह सुनिश्चित करना है कि संघर्ष वाले क्षेत्रों से सभी सैनिक पूरी तरह से पीछे हटें और भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिये यह जरूरी है.
दोनों देशों के नेताओ को आम सहमति से लेना चाहिए मार्गदर्शन
संयुक्त बयान के अनुसार, जयशंकर और वांग ने सहमति जताई कि दोनों पक्षों को भारत-चीन संबंधों को विकसित करने के लिए दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी आम सहमति से मार्गदर्शन लेना चाहिए, जिसमें मतभेदों को विवाद में तब्दील नहीं नहीं होने देना शामिल है. स्पष्ट है कि इसका संदर्भ 2017 में डोकलाम में गतिरोध के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई दो अनौपचारिक शिखर वार्ताओं से था.
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