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कोर कमांडरों की वार्ता में Indian Army ने कहा- चीन पहले अपनी पुरानी पोजिशन में लौटे, फिर...

भारत और चीन के बीच 14 घंटे चली छठे दौर की सैन्य वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख में अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित टकराव बिंदुओं के पास तनाव कम करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया.

Updated on: 23 Sep 2020, 06:11 AM

दिल्ली:

भारत और चीन के बीच 14 घंटे चली छठे दौर की सैन्य वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख में अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित टकराव बिंदुओं के पास तनाव कम करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया. इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सैन्य अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस मैराथन वार्ता का परिणाम सोमवार को तत्काल पता नहीं चला है, लेकिन ऐसा समझा जाता है कि दोनों पक्षों ने वार्ता आगे बढ़ाने के लिए फिर से बैठक करने पर सहमति जताई है.

सरकारी सूत्रों ने बताया कि वार्ता के दौरान भारतीय पक्षों ने सभी टकराव बिंदुओं से चीनी बलों को शीघ्र एवं पूरी तरह हटाए जाने पर जोर दिया. भारत ने इस बात पर भी जोर दिया कि तनाव कम करने के लिए पहले कदम चीन को उठाना है. एक सूत्र ने कहा कि तनाव कम करने पर ध्यान केंद्रित किया गया. दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने सीमा पर मई की शुरुआत से जारी टकराव को खत्म करने के लिए भारत एवं चीन के बीच 10 सितंबर को हुए पांचसूत्री द्विपक्षीय समझौते के क्रियान्वयन पर विस्तार से विचार-विमर्श किया.

ऐसा समझा जाता है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 10 सितंबर को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुए समझौते को निश्चित समय-सीमा में लागू करने पर जोर दिया. सूत्रों ने बताया कि वार्ता का एजेंडा पांच सूत्री समझौते के क्रियान्वयन की निश्चित समयसीमा तय करना था. समझौते का लक्ष्य तनावपूर्ण गतिरोध को खत्म करना है, जिसके तहत सैनिकों को शीघ्र वापस बुलाना, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचना, सीमा प्रबंधन संबंधी सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करना तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बहाली के लिए कदम उठाना जैसे उपाय शामिल हैं.

सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तर की छठे दौर की यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशूल सेक्टर में एलएसी के पार मोल्डो में चीनी क्षेत्र में सुबह करीब नौ बजे शुरू हुई और रात 11 बजे समाप्त हुई. उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने इस बात का भी जिक्र किया कि लद्दाख क्षेत्र में अक्टूबर से ठंड पड़नी शुरू होती है और उसके बाद तापमान शून्य से भी 25 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है और ऑक्सीजन की कमी हो जाती है.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई भारतीय सेना की लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने की. सैन्य वार्ता के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल में पहली बार विदेश मंत्रालय के किसी वरिष्ठ अधिकारी को शामिल किया गया. विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. वह सीमा विषयक परामर्श एवं समन्वय कार्य प्रणाली (डब्ल्यूएमसीसी) की रूपरेखा के तहत चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर राजनयिक वार्ता में शामिल रहे हैं. भारतीय प्रतिनिधिमंडल में लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन भी शामिल थे, जो अगले महीने 14वीं कोर कमांडर के तौर पर सिंह का स्थान ले सकते हैं.

इससे पहले कोर कमांडर स्तर की वार्ता के पांच दौर में भारत ने चीनी सैनिकों की यथाशीघ्र वापसी तथा पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में अप्रैल से पहले वाली स्थिति की बहाली पर जोर दिया था. पांचवें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता दो अगस्त को करीब 11 घंटे चली थी. उससे पहले चौथा दौर की वार्ता 14 जुलाई को करीब 15 घंटे चली थी. सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख और अत्यधिक ऊंचाई वाले अन्य संवेदनशील स्थानों पर कड़ाके की सर्दियों में सभी अग्रिम इलाकों पर बलों एवं हथियारों की तैनाती का मौजूदा स्तर बरकरार रखने के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं.

उन्होंने बताया कि पैंगोंग झील के दक्षिणी तथा उत्तरी तट पर तथा अन्य टकराव वाले बिंदुओं पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने बीते तीन हफ्तों में पैंगोंग झील के दक्षिणी और उत्तरी तट पर भारतीय सैनिकों को "धमकाने" की कम से कम तीन बार कोशिश की है. यहां तक कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल में पहली बार हवा में गोलियां चलाई गई हैं.

पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ी, जब चीन ने 29-30 अगस्त की रात को पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने की विफल कोशिश की. सात सितंबर को पैंगोग झील के दक्षिणी तट पर रेजांग-ला रिजलाइन के मुखपारी में चीनी सैनिकों ने भारतीय ठिकाने के निकट जाने का विफल प्रयास किया और हवा में गोलियां चलाईं. भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर कई पर्वत चोटियों पर तैनाती की और किसी भी चीनी गतिविधि को नाकाम करने के लिये क्षेत्र में फिंगर 2 तथा फिंगर 3 इलाकों में अपनी मौजूदगी मजबूत की है.