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India China Dispute: एलएसी पर बढ़ा तनाव, पीछे नहीं हट रहे चीनी सैनिक, भारत चौकस

धोखेबाज चीन एक बार फिर अपने वादे से पलट गया है, जिससे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव और बढ़ गया है. हाल ही में कमांडर स्तर की बातचीत के बाद भी उस पर कोई असर नहीं हुआ है.

Updated on: 23 Jul 2020, 09:12 AM

नई दिल्ली:

धोखेबाज चीन (China) एक बार फिर अपने वादे से पलट गया है, जिससे पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव और बढ़ गया है. हाल ही में कमांडर स्तर की बातचीत के बाद भी उस पर कोई असर नहीं हुआ है. दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक वार्ताओं में जिन शर्तों पर सैनिकों को कम करने की सहमति बनी थी, चीन उनका भी पालन नहीं कर रहा है. एलएसी (LAC) पर चीन ने अपने सैनिकों को पीछे हटाने का सिलसिला रोक दिया है. हालांकि चीनी की हर चाल पर भारत की चौकस नजर बनी हुई है. 

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चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख के पंगोंगत्से में फिंगर-5 से पीछे नहीं हट रहे हैं. चीन ने अपने सैनिकों को गोग्रा पॉइंट से भी महज एक किलोमीटर पीछे हटाया है और उसके बाद वहीं उनका जमावड़ा दिखाई दे रहा है. सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना पहले कुछ पीछे हटी थी, लेकिन फिर वापस आ गई. भारतीय और चीनी सेना पेंगांग लेक में दो किलोमीटर तक पीछे हट गई थी और फिंगर-4 खाली हो गया था. हालांकि चीनी अभी भी रिज लाइन के पास डटे हुए हैं. चीनी सेना फिंगर 4 से लेकर फिंगर 8 तक भारतीय सीमा में आठ किमी अंदर तक आ गई थी. भारत का मानना है कि एलएसी फिंगर 8 से शुरू होती है.

पेट्रोलिंग पॉइंट 14 कहे जाने वाले गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना के बीच तीन किलोमीटर की दूरी है, जबकि पेट्रोलिंग पॉइंट 15 के पास, जवानों के बीच दूरी लगभग आठ किलोमीटर है. लेकिन तनाव का क्षेत्र हॉट स्प्रिंग, यानी पेट्रोलिंग पॉइंट-17 बना हुआ है, जहां 40-50 जवान केवल 600-800 मीटर की दूरी पर तैनात हैं. दोनों देशों के बीच बनी सहमति के बाद चीनी सेना पीछे हटी थी, लेकिन वापस आ गई.

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बता दें कि बीते दिनों भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के चीनी विदेश मंत्री से बात करने के बाद चीन सीमा पर सैनिकों की संख्या घटाने के लिए राजी हुआ था. बातचीत में तय किया गया था कि चीनी पक्ष फिंगर 5 एरिया में भी पीछे हटने को और सिरीजाप में अपनी स्थायी जगह वापस जाने के लिए भी तैयार होगा, लेकिन ड्रैगन अब भी ऐसा नहीं कर रहा है.

मौजूदा स्थिति को देखते हुए सेना प्रमुख आज करेंगे समीक्षा बैठक 

उधर, चीन की चाल और एलएसी पर मौजूदा स्थिति को देखते हुए सेना प्रमुख आज समीक्षा बैठक करेंगे. जिसकी रिपोर्ट सीडीएस जनरल बिपिन रावत और रक्षा मंत्री राजनाथ को दी जाएगी. इस बीच स्पेशल रिप्रेजेन्टेटिव लेवल पर फिर से बातचीत की संभावना है. मौजूदा हालात को देखते हुए सेना ने भी विंटर की तैयारियां शुरू कर दी है.

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बस कुछ दिन का इंतजार, राफेल करेगा दुश्मन की योजना को नेस्तनाबूत

भारतीय वायुसेना(आईएएफ) के बेड़े में जुलाई के अंत तक 36 राफेल लड़ाकू विमानो में से कम से कम पांच विमान शामिल हो जाएंगे, जिससे देश की वायु शक्ति में जरूरी ताकत का इजाफा होगा. भारतीय सेना उत्तरी सीमा पर चीन की पीएलए के साथ कई जगहों पर संघर्ष की स्थिति में है तो पश्चिमी सीमा पर वह पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के घुसपैठ और सीमापार से गोलीबारी का सामना करती रहती है.

राफेल के वायुसेना के बेड़े में शामिल होने पर आसमान में राज करेगा भारत

इन परिस्थितियों में हवाई शक्ति ही सुंतलन को बनाए रख सकती है. राफेल लड़ाकू विमान मेटेओर, स्कैल्प और मिका जैसे विजुअल रेंज मिसाइलों से सुसज्जित होगा, जोकि दूर से ही अपने लक्ष्य को भेद सकती हैं. वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान ताकत बढ़ाने वाला होगा. दुश्मनों के हमला करने का हमेशा डर बना रहता है. हालांकि एक भारतीय राफेल लड़ाकू विमान दुश्मन की योजना को नेस्तनाबूत कर सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि जब राफेल भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हो जाएगा, भारत आसमान में राज करेगा. इसका निर्माण फ्रांस की दसां एविएशन ने किया है. विमान जुलाई अंत तक भारत पहुंच जाएगा, हालांकि इसे बाद में बेड़े में शामिल किया जाएगा. उत्तरी सीमा के लिए, यह अंबाला एयर फोर्स स्टेशन और दूसरा हाशिमारा में तैनात होगा.

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भारत-चीन की वायु शक्ति के बारे में जानिए

भारत-चीन की वायु शक्ति की बात करें तो, पश्चिमी कमांड में, चीन की पीएलए वायुसेना ने 157 लड़ाकू विमान और 20 जीजे-1 डब्ल्यूडी-1के को तैनात किया है. चीन दावा करता है कि इसके घर में बने जे-10सी और जे-16 लड़ाकू विमान, रूस में बने मिग-29, सु-30एस और फ्रांस में बने मिराज 2000 जेट से ज्यादा उन्नत हैं. चीन का यह भी दावा है कि जे-20 लड़ाकू विमान के पास भारतीय लड़ाकू विमान के मुकाबले पीढ़ीगत लाभ है और इस गैप को किसी भी तरह भरपाना मुश्किल है. वहीं दूसरी ओर भारत दावा करता है कि मिराज 2000 और सुखोई 30 चीन के जे10, जे11 और सु-27 विमानों से अधिक ताकतवर हैं.