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पूर्वी लद्दाख के पास भारी हथियार और लड़ाकू वाहन जमा कर रहीं भारत-चीन की सेनाएं

भारत और चीनी सेनाओं के बीच 25 दिन से भी ज्यादा समय से जारी गतिरोध के बीच दोनों देश पूर्वी लद्दाख के विवादित क्षेत्र के पास स्थित अपने सैन्य अड्डों पर भारी उपकरण और तोप व युद्धक वाहनों समेत हथियार प्रणालियों को पहुंचा रहे हैं.

Updated on: 01 Jun 2020, 12:00 AM

दिल्ली:

भारत और चीनी सेनाओं (India-china army) के बीच 25 दिन से भी ज्यादा समय से जारी गतिरोध के बीच दोनों देश पूर्वी लद्दाख (Easten Ladakh) के विवादित क्षेत्र के पास स्थित अपने सैन्य अड्डों पर भारी उपकरण और तोप व युद्धक वाहनों समेत हथियार प्रणालियों को पहुंचा रहे हैं. सैन्य सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी. दोनों सेनाओं द्वारा क्षेत्र में अपनी युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने की यह कवायद ऐसे वक्त हो रही है जब दोनों देशों द्वारा सैन्य व कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिये इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है.

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सूत्रों ने कहा कि चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपने पीछे के सैन्य अड्डों पर क्रमिक रूप से तोपों, पैदल सेना के युद्धक वाहनों और भारी सैन्य उपकरणों का भंडारण बढ़ा रही है. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना भी चीनी सेना की बराबरी के लिए इस क्षेत्र में अतिरिक्त जवानों के साथ ही उपकरणों और तोप जैसे हथियारों को वहां पहुंचा रही है.

उन्होंने कहा कि जबतक पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी और कई अन्य इलाकों में यथा स्थिति बरकरार नहीं होती तब तक भारत पीछे नहीं हटेगा. भारतीय वायुसेना विवादित क्षेत्र में कड़ी निगरानी कर रही है. काफी संख्या में चीनी सैनिक इस महीने के शुरू में वस्तुत: सीमा पार कर भारतीय क्षेत्र में घुस आए थे और तबसे पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में बने हुए हैं. भारतीय सेना ने चीनी जवानों के इस अतिक्रमण का तीव्र विरोध किया और उनके तत्काल वहां से वापस लौटने तथा शांति व यथास्थिति बहाल करने की मांग की.

चीनी सेना ने डेमचोक और दौलतबेग ओल्डी में भी अपनी मौजूदगी बढ़ाई थी. ये दोनों संवेदनशील क्षेत्र हैं और पूर्व में यहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हो चुकी है. माना जा रहा है कि चीन ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में करीब 2500 सैनिकों को तैनात किया है और धीरे-धीरे अस्थायी ढांचा और हथियारों को बढ़ा रहा है. हालांकि संख्या को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है.

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सूत्रों ने कहा कि उपग्रह से ली गई तस्वीरों में नजर आ रहा है कि चीन ने मानक सीमा के अपनी तरफ रक्षा आधारभूत ढांचे में तेजी से इजाफा किया है जिसमें पैंगोंग त्सो इलाके से करीब 180 किलोमीटर दूर एक सैन्य हवाईअड्डे का निर्माण भी शामिल है. भारतीय सेना के आकलन के मुताबिक इसका उद्देश्य भारत पर दबाव बनाना है. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमें चीनी हथकंडों के बारे में अच्छे से पता है. भारतीय सेना अपने रुख पर अडिग है और हम इलाके में यथास्थिति के बहाल होने से कम पर राजी नहीं होने वाले.”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि चीन के साथ विवाद को सुलझाने के लिये सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर द्विपक्षीय बातचीत चल रही है. भारत द्वारा पैंगोंग त्सो झील के पास के इलाके में सड़क निर्माण और गलवान घाटी में डरबुक शायोक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग का चीन द्वारा विरोध गतिरोध का मुख्य कारण है. सूत्रों ने कहा कि चीन भी एक सड़क का रनर्माण कर रहा है जिस पर भारत को आपत्ति है.

सूत्रों ने कहा कि अतिरिक्त जवानों, वाहनों और तोपों को भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिये भेजा है, जहां चीनी सैनिक आक्रामक रुख अपना रहे हैं.