चीन दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान शहर में आज मुलाकात हुई। दो दिवसीय अनौपचारिक वार्ता के दौरान दोनों देशों के प्रमुखों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के तरीकों पर चर्चा हुई। इस सम्मेलन को 'अपनी तरह का एक अनोखा' सम्मेलन माना जा रहा है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने कहा, 'मैं न्यू इंडिया की बात करता हूं और आप (जिनपिंग) न्यू इरा की बात करते हैं। दोनों की सोच समान है। ऐसे में हम विश्व के लाभ के लिये सही दिशा में कदम उठा रहे हैं।
पीएम ने कहा, 'हम पर (भारत-चीन) विश्व के 40 फीसदी जनसंख्या के लिये काम करने की जिम्मेदारी है, इसका अर्थ ये है कि हम विश्व की कई समस्याओं को खत्म करने की सफल कोशिश कर सकते हैं। इसके लिये एक साथ काम करने का मौका है।'
उन्होंने कहा, 'भारत के लोगों को इस बात का गर्व है कि मैं पहला भारतीय प्रधानमंत्री हूं जिसका स्वागत करने आए आप देश की राजधानी से दो बार बाहर आए।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों देशों की संस्कृति की चर्चा करते हुए कहा, 'दोनों देशों की संस्कृतियों का विकास नदियों के किनारे हुआ है। अगर मोहनजोदारी और हड़प्पा की बात करें तो दोनों स्थानों का विकास नदियों के किनारे ही हुआ है।'
वहीं दूसरी तरफ म्यूजियम में पीएम मोदी का स्वागत करने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर मैं बेहद खुश हूं।'
गौरतलब है कि इससे पहले, राष्ट्रपति शी जिनपिंग सभी प्रोटोकॉल को दरकिनार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बीजिंग से अलग शहर वुहान में गर्मजोशी से स्वागत करने पहुंचे। ऐसा माना जा रहा है कि दोनों देश डोकलाम गतिरोध के बाद संबंधों को एक नई शुरुआत (रिसेट) देना चाह रहे हैं।
वहीं दोनों देशों के राष्ट्र प्रमुखों के बीच मुलाकात को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा, 'शी ने हुबई प्रांतीय संग्रहालय में प्रधानमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत करने के बाद, दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के साथ मुलाकात की, जिसके दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंध को मजबूत करने पर विचार साझा किए।'
मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर कहा, 'संग्रहालय में प्रधानमंत्री का एक प्रभावशाली सांस्कृतिक कार्यक्रम से स्वागत किया गया।'
उन्होंने कहा, 'भारत और चीन की संस्कृति का संबंध कई शताब्दियों पुराना है और मौजूदा समय में यह बॉलीवुड की लोकप्रियता, योग और भारतीय संस्कृति के अन्य रूपों से परिलक्षित होता है।'
मोदी चीन के समयानुसार दोपहर करीब 3.30 बजे हुबेई प्रांतीय संग्रहालय पहुंचे और 30 सेकेंड तक बड़ी ही गर्मजोशी से शी जिनपिंग से हाथ मिलाया। दोनों नेताओं ने इसके बाद एक घंटे तक संग्रहालय का दौरा किया।
दोनों नेताओं ने हुबई की संस्कृति पर विशेष रूप से केंद्रित चीनी सभ्यता के पुरावशेष की प्रदर्शनी देखी। मोदी और शी ने दो प्राचीन सभ्यता चीन और भारत के बीच संबंधों और संचारों पर अपने विचार साझा किए।
शी और मोदी शाम छह बजे एक और बैठक में हिस्सा लेंगे। इस दौरान दोनों पक्षों का प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद रहेगा। इसके बाद शी जिनपिंग की मेजबानी में रात्रिभोज का आयोजन किया गया।
वार्ता के दूसरे दिन शनिवार को दोनों नेता ईस्ट लेक जाएंगे और नौका की सवारी करेंगे। इस दौरान ईस्ट लेक गेस्टहाउस में दोनों के बीच चर्चा भी होगी।
भारत और चीन के बीच 1962 में युद्ध हुआ था और इस तरह दोनों देशों के बीच आपसी अविश्वास का लंबा-चौड़ा इतिहास रहा है। साल 2017 में डोकलाम विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच हालात बहुत बिगड़ गए थे।
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हालांकि, चीन के वुहान शहर में मोदी और जिनपिंग के बीच यह अपनी तरह की अनोखी मुलाकात है, जो द्विपक्षीय संबंधों की नई शुरुआत का संकेत है।
चीनी वेस्ट नार्मल विश्वविद्यालय में भारतीय अध्ययन के निदेशक लांग शिंगचुन ने कहा, 'यह दोनों नेताओं के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक है। इन दोनों देशों के नेताओं के बीच विकास एक मत्वपूर्ण मुद्दा होगा।'
उन्होंने कहा, 'भारत, चीन के सहयोग से अपने लक्ष्य को पा सकता है और वैश्विक शक्ति बन सकता है। चीन भारत से अमीर और मजबूत है लेकिन हमारे सामने कई घरेलू समस्याएं हैं, जिनसे हमें निपटना है।'
लांग ने कहा, 'दोनों देशों को विकास को प्राथमिकता देने की जरूरत है। अब, अमेरिका की संरक्षणवादी नीति भारत और चीन दोनों के लिए अच्छी खबर नहीं है।'
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(IANS इनपुट के साथ)
Source : News Nation Bureau