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3488 km लंबी है भारत और चीन की सीमा, जानें क्या है दोनों देशों के बीच विवाद की मुख्य वजहें

भारत और चीन के बॉर्डर की कुल लंबाई 3488 किलोमीटर है. यह जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश में स्थित है.

Updated on: 31 Aug 2020, 06:05 PM

नई दिल्ली:

भारत और चीन के बीच जारी विवाद कम होने क बजाए बढ़ता ही जा रहा है. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेख (LAC) पर पैंगोंग झील क पास भारत और चीन क सैनिक क बीच एक बार फिर झड़प हो गई है. जिसमें भारतीय जवानों ने चीनियों क वहां से खदेड़ भगाया. भारत और चीन क बीच इस ताजा घटना पर देश क अंदर भी सियासत शुरू हो गई है. आइए जानते हैं भारत और चीन से जुड़ी कछ बेहद खस और जरूरी बातें.

भारत और चीन बॉर्डर
• कल लम्बाई - 3488 km
• जम्मू कश्मीर - 1597 km
• अरुणाच प्रदेश - 1126 km
• सिक्किम - 200 km
• उत्तराखंड - 345 km
• हिमाचल प्रदेश - 200 km

पैंगोंग और गलवान में क शुरू हुआ था विवाद
• पूर्वी लद्दाख क पैंगोंग त्सो झील और गालवन घाटी मौजूदा विवाद क वजह है.
• भारत अपने हिस्से में सड़क बना रहा है, जिसपर चीन क एतराज़ है.
• भारत पैंगोंग त्सो (झील) इलाक में एक खस सड़क बना रहा है.
• भारत गलवान घाटी में डारबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी सड़क क जोड़ने वाली एक सड़क भी बना रहा है.
• पैंगोंग त्सो झील कत्र में 5मई क दोनों देशों क सैनिक लोहे क छड़ों और लाठी-डंडे लेकर आपस में भिड़ गए थे.
• भारत और चीन क सैनिक क बीच मई महीने में तीन बार झड़प हो चुक है.
• इस दौरान दोनों पक क बीच पथराव भी हुआ था. इस घटना में दोनों देशों क कई सैनिक घायल हुए थे.
• पैंगोंग शो लेक से आगे क पहाड़ी इलाक में 8 पहाड़ हैं.
• पहाड़ों क इन अलग अलग उभार क फिंगर 1 से लेकर फिंगर 8 तक नाम दिया गया है.
• भारत क दावा है क फिंगर 1 से फिंगर 8 तक क पूरा इलाक भारत क है जबक चीन फिंगर 8 से फिंगर-2 तक अपना इलाक मानता है.

पश्चिम सेकर- गलवान घाटी
• गलवान घाटी विवादित कत्र अकई चीन में है.
• गलवान घाटी लद्दाख और अकई चीन क बीच भारत-चीन सीमा क नज़दीक स्थित है.
• वास्तविक नियंत्रण रेख (एलएसी) अकई चीन क भारत से अलग करती है.
• ये घाटी चीन क दकणी शिनजियांग और भारत क लद्दाख तक फैली है.
• ये कत्र भारत क लिए सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है.
• ये पाकस्तान, चीन क शिनजियांग और लद्दाख क सीमा क साथ लगा हुआ है.
• 1962 क जंग क दौरान भी गालवन नदी क यह कत्र जंग क प्रमुख कद्र रहा था.

पश्चिमी सेकर में विवाद क बड़ी वजह, पैंगोंग त्सो झील
• 134 कलोमीटर लंबी पैंगोंग त्सो झील हिमालय में करीब है.
• यह 14,000 फुट से ज़्यादा क ऊंचाई पर स्थित है.
• इस झील क 45 कलोमीटर कत्र भारत में पड़ता है.
• इस झील क 90 कलोमीटर कत्र चीन में आता है.
• एलएसी वास्तविक नियंत्रण रेख इस झील क बीच से गुज़रती है.
• पश्चिमी सेकर में चीन क तरफ़ से अतिकमण क एक तिहाई मामले इसी पैंगोंग त्सो झील क पास होते हैं.
• इस कत्र में दोनों देशों क बीच वास्तविक नियंत्रण रेख क लेकर सहमति नहीं है.
• दोनों ने अपनी अलग-अलग एलएसी तय क हुई है.
• रणनीतिक तौर पर इस झील क कफ़ी महत्व है.
• ये झील चुशूल घाटी क रास्ते में आती है.
• चीन इस रास्ते क इस्तेमाल भारत-अधिकत कत्र में हमले क लिए कर सकता है.
• साल 1962 क युद्ध क दौरान यही वो जगह थी जहां से चीन ने अपना मुख आकमण शुरू कया था.

पैंगोंग पर चीन क नजर
• 29-30 अगस्त क रात पैंगोंग लेक क पास चीन क सैनिक ने घुसपैठ करने क कशिश क है.
• पैंगोंग त्सो में दोनों देशों क सैनिक क बीच 5 मई क भी झड़प हुई थी.
• 15 जून क गलवान में भारत और चीन क बीच हुए हिंसक झड़प में 20 भारतीय शहीद हो गए थे.
• गलवान झड़प में चीन क भी 43 सैनिक क मारे जाने क खबर आयी थी.
• रिपोर्ट क मुताबिक 1 मई से चीन सैनिक ने मूवमेंट शुरू कर दिया गया था.
• रिपोर्ट क मुताबिक अप्रैल से ही चीन ने तैयारी शुरू कर दी थी.

भारत और चीन के बीच कब-कब हुई बातचीत
पहली मीटिंग
कब हुई: 6 जून
कहां हुई: एलएसी पर चीन की तरफ मोल्डो में।
क्या बात हुई: शांतिपूर्ण तरीके से विवाद सुलझाकर रिश्ते आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई। गलवान वैली के पास विवादित इलाकों से धीरे-धीरे सैनिक हटाने पर सहमति बनी।

दूसरी मीटिंग
कब हुई: 22 जून
कहां हुई: एलएसी पर चीन की तरफ मोल्डो में।
क्या बात हुई: भारत ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो इलाके से चीनी सैनिकों को हटाने की मांग की। गलवान में हुई हिंसक झड़प पर नाराजगी जताई। भारत ने चीन से मांग रखी कि वह लद्दाख में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर उस लेवल पर ले जाए जो अप्रैल में था।

तीसरी मीटिंग
कब हुई: 30 जून
कहां हुई: एलएसी पर चीन की तरफ मोल्डो में
क्या बात हुई: सीनियर मिलिट्री लेवल कमांडर्स मीटिंग में डी-एस्केलेशन पर सहमति बनी

चौथी मीटिंग
कब हुई: 14  जुलाई
कहां हुई: एलएसी पर चीन की तरफ मोल्डो में
क्या बात हुई: भारत और चीन के सैन्य प्रतिनिधियों ने सीमाओं पर सैनिकों को पीछे हटाने के बारे में विचार-विमर्श किया। भारतीय प्रतिनिधियों ने चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों को पैंगोंग झील और देपसांग से पूरी तरह से हटने को कहा

पांचवीं मीटिंग
कब हुई: 2 अगस्त  
कहां हुई: एलएसी पर चीन की तरफ मोल्डो में
क्या बात हुई: बैठक में भारत ने कहा की तनाव वाले सभी जगहों से सेना पीछे हटाए चीन

छठी मीटिंग
कब हुई: 9 अगस्त  
कहां हुई: दौलतबेग ओल्डी क्षेत्र में
क्या बात हुई: भारत की तरफ से वार्ता कर रहे कमांडर ने साफ कहा कि डेप्सांग से चीन को अपने सैनिक वापस बुलाने होंगे, वरना किसी भी घटना के लिए तैयार रहें. इससे पहले की मीटिंग का नतीजा ये कला था की पूर्वी लद्दाख में एलएसी के कुछ विवादित क्षेत्रों से चीनी सेना पीछे हटी , लेकिन डेप्सांग और पैंगॉन्ग झील के फिंगर एरिया से हटने को तैयार नहीं है