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पाक-चीन सीमा पर अभी सिर्फ जंग का ट्रेलर, भविष्य के लिए तैयार करना होगा युद्ध का मैदान: सेना प्रमुख

पाक-चीन सीमा पर अभी सिर्फ जंग का ट्रेलर, भविष्य के लिए तैयार करना होगा युद्ध का मैदान: सेना प्रमुख

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने गुरुवार को कहा कि चीन-पाकिस्तान सीमा पर अभी हम केवल जंग का ट्रेलर देख रहे हैं। सूचना तंत्र के समय में यह युद्ध साइबर स्पेस, नेटवर्क के जरिए लड़ा जा रहा है।

भविष्य के युद्धों के बारे में दिल्ली में सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज में प्रज्ञान कॉन्क्लेव में बोलते हुए, जनरल नरवणे ने कहा, हम पहले से ही भविष्य के संघर्षों के ट्रेलर देख रहे हैं। सूचना तंत्र के समय में यह युद्ध साइबर स्पेस, नेटवर्क के जरिए लड़ा जा रहा है। हमें इसी आधार पर भविष्य के लिए युद्ध का मैदान तैयार करना होगा।

जनरल नरवणे ने कहा कि अगर हम अपने आस-पास देखें तो हमें वास्तविकता का अहसास होगा। इसी वास्तविकता के आधार पर हमें भविष्य के युद्ध की तैयारी करनी होगी। हमें इन ट्रेलरों के आधार पर भविष्य का युद्ध का मैदान तैयार करना होगा।

उन्होंने पाकिस्तान और चीन से उत्पन्न हो रहीं चुनौतियों पर कहा कि सीमाओं पर भारत भविष्य में होने वाले टकराव का ट्रेलर देख रहा है। विरोधी देश अपने रणनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लगातार कोशिशें जारी रखेंगे। उन्होंने भविष्य में बड़े युद्ध की संभावनों से भी इनकार नहीं किया। ऐसे में उत्तरी सीमा पर आधुनिक तकनीक वाले साजो-सामान से लैस सक्षम बलों को तैनात करने की जरूरत है।

पड़ोसी देशों का नाम लिए बिना नरवणे ने कहा कि परमाणु-सक्षम पड़ोसियों के साथ विवादित सीमाएं और उन पर प्रायोजित छद्म युद्ध, सुरक्षा तंत्र और संसाधनों की जरूरत को रेखांकित कर रहा है। सूचना प्रणाली के दौर में यह ट्रेलर नेटवर्क, साइबर स्पेस के रूप में सामने आ रहे हैं। इनके जरिए अस्थिर और सक्रिय सीमाओं पर साजिश रची जा रही है।

उन्होंने कहा कि युद्ध की औपचारिक घोषणा के बिना, साइबर, सूचना, उप-पारंपरिक और हाइब्रिड डोमेन में राष्ट्रों के बीच शत्रुता चल रही है।

उन्होंने कहा, हम भविष्य के संघर्षों की झलकियां देख रहे हैं। इसे प्रोपगैंडा एवं साइबरस्पेस के क्षेत्र में देखा जा सकता है। जरूरत है कि इन चुनौतियों को देखते हुए हम भविष्य के लिए तैयार हों।

उन्होंने कहा कि हमारा विरोधी अपने रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के अपने प्रयासों को जारी रखेगा। इसी के साथ उन्होंने आगे कहा कि हम इन परिवर्तनों के लिए अपने परिचालन अनुभवों को और मजबूत कर रहे हैं और यह एक कार्य प्रगति पर रहेगा। चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बगैर सेना प्रमुख ने कहा कि परमाणु हथियारों से संपन्न पड़ोसी देश प्रॉक्सी वार के जरिए अपने मंसूबों को पूरा करना चाहते हैं।

अफगानिस्तान में ताजा घटनाक्रमों के बारे में बात करते हुए, जनरल नरवणे ने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति ने फिर से ध्यान केंद्रित किया है, प्रॉक्सी और नॉन-स्टेट एक्टर्स के उपयोग को निर्णायक प्रभाव में लाया गया है।

उन्होंने कहा, ये एक्टर्स स्थानीय परिस्थितियों में फलते-फूलते हैं, कम लागत वाले विकल्पों का अभिनव रूप से फायदा उठाते हैं, विनाशकारी प्रभाव डालते हैं और ऐसी स्थितियां पैदा करते हैं, जो राज्य के लिए उपलब्ध परिष्कृत क्षमताओं के पूर्ण उपयोग को सीमित करती हैं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि सैन्य सिद्धांतों और अवधारणाओं ने इस बदलाव के साथ तालमेल बिठाने और प्रासंगिक बने रहने के लिए संघर्ष किया है।

वर्तमान संदर्भ में, उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम जारी है, क्योंकि भारत ने मजबूत स्थिति से बातचीत की है।

चीन के साथ सीमा पर स्थिति के बारे में बात करते हुए, जनरल नरवणे ने कहा, हमारी उत्तरी सीमाओं के घटनाक्रम ने हमारी संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने के लिए, आधुनिक तकनीक द्वारा समर्थित, बूट्स ऑन ग्राउंड के इष्टतम घटक के साथ तैयार और सक्षम बलों की आवश्यकता को भी पर्याप्त रूप से रेखांकित किया है।

भारतीय सेना प्रमुख ने इजरायल और हमास और संयुक्त अरब अमीरात और यमन संघर्ष का भी हवाला दिया।

जनरल नरवणे ने कहा, पिछले साल इजरायल-हमास संघर्ष ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शक्ति को मजबूती से रेखांकित किया है।

उन्होंने कहा कि पिछले महीने यमन के हौथी विद्रोहियों द्वारा संयुक्त अरब अमीरात पर सशस्त्र ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग करके हालिया हमले, इन विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के तेजी से प्रसार को एक्टर्स की एक विस्तृत श्रृंखला में दिखाते हैं।

उन्होंने कहा, संयुक्त अरब अमीरात और वहां तैनात अमेरिकी बलों द्वारा आने वाली मिसाइलों का हवा के बीच में अवरोधन समान रूप से परिभाषित है।

उन्होंने कहा कि बेहतर स्थितिजन्य जागरूकता, सेंसरों का संलयन, तेजी से निर्णय लेने, स्वायत्त हथियारों का उपयोग और युद्ध के हर पहलू में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एकीकरण, युद्ध लड़ने वाले सिद्धांतों, हमारे संगठनों और संरचनाओं में बदलाव की आवश्यकता होगी।

जनरल नरवणे ने कहा, दुनिया भर की सेनाओं के साथ-साथ हमारे लिए भी, यह एक सतत चुनौती है, और एक कार्य प्रगति पर है।

भारतीय ²ष्टिकोण से, हम अद्वितीय, पर्याप्त और बहु-क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करते हैं। परमाणु पड़ोसियों के साथ विवादित सीमाएं, राज्य प्रायोजित प्रॉक्सी युद्ध के साथ, हमारे सुरक्षा तंत्र और संसाधनों को बढ़ाती हैं।

उन्होंने 2020 में होने वाली घटनाओं की ओर इशारा किया, जो सभी क्षेत्रों में सुरक्षा खतरों की विविधता के प्रमाण हैं, और इसने गैर-संपर्क और ग्रे-जोन युद्ध की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

जनरल नरवणे ने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध के गैर-संपर्क और संपर्क मोड दोनों में, प्रभावशीलता में सुधार, हमारी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, डिजिटल युग युद्ध में सैन्य प्रौद्योगिकी के मुख्य चालकों की पहचान करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि इसके लिए भारतीय सेना ने इन प्रौद्योगिकियों को हासिल करने के लिए पर्याप्त आधुनिकीकरण कदम पहले ही शुरू कर दिए हैं।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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