जलवायु परिवर्तन को सुरक्षा मुद्दा घोषित करने की जल्दबाजी पर भारत की आपत्ति

भारत परिषद के अभियान के फैलाव से चिंतित है, क्योंकि यह अपनी पहुंच संयुक्त राष्ट्र चार्टर में आवंटित मुद्दों से बाहर अन्य मुद्दों पर बनाना चाह रहा है, जबकि परिषद अपने मूल कार्य को करने के लिए संघर्ष कर रहा है.

भारत परिषद के अभियान के फैलाव से चिंतित है, क्योंकि यह अपनी पहुंच संयुक्त राष्ट्र चार्टर में आवंटित मुद्दों से बाहर अन्य मुद्दों पर बनाना चाह रहा है, जबकि परिषद अपने मूल कार्य को करने के लिए संघर्ष कर रहा है.

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Deepak Kumar
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जलवायु परिवर्तन को सुरक्षा मुद्दा घोषित करने की जल्दबाजी पर भारत की आपत्ति

सैयद अकबरुद्दीन, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि (IANS)

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में जलवायु परिवर्तन को अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दा घोषित करने की जल्दबाजी दिखाने और इस पर निर्णय लेने के लिए सुरक्षा परिषद को अधिकार देने की संभावना पर सवाल उठाया है. भारत ने इसके अलावा इस पहल की कठिनाइयों की ओर भी इशारा किया. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, सैयद अकबरुद्दीन ने सुरक्षा परिषद से शुक्रवार को कहा, "जलवायु परिवर्तन प्रक्रिया को लागू करने के 'परिषद के निर्णय' से पेरिस समझौता और इसके लिए उपाय तलाशने के कई प्रयासों में व्यवधान उत्पन्न होगा.'

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भारत परिषद के अभियान के फैलाव से चिंतित है, क्योंकि यह अपनी पहुंच संयुक्त राष्ट्र चार्टर में आवंटित मुद्दों से बाहर अन्य मुद्दों पर बनाना चाह रहा है, जबकि परिषद अपने मूल कार्य को करने के लिए संघर्ष कर रहा है.

परिषद पर निशाना साधते हुए अकबरुद्दीन ने कहा, 'क्या जलवायु न्याय की जरूरत को जलवायु कानून में बदलकर प्राप्त किया जा सकता है- जिसके अंतर्गत क्या यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) को एक गुप्त विचार-विमर्श के बाद संरचनात्मक रूप से गैर प्रतिनिधित्वकारी निर्णय लेने वाली संस्था में बदला जा सकता है?'

उन्होंने कहा कि विरोध का मुख्य बिंदु यह है कि किस तरह से और कौन-सा वैश्विक शासनतंत्र इन घटनाओं से निपटने में सक्षम है और भारत ने इसमें सतर्क रुख अपनाया है.

परिषद में अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के मुद्दे पर जलवायु संबंधी आपदाओं के बारे में चर्चा हो रही थी.

राजनीतिक और शांति निर्माण मामलों की अंडर-सेकेट्री-जनरल रोसमेरी डी कार्लो ने कहा कि लू, भारी बारिश की घटनाएं, समुद्र स्तर के ऊंचा होने और कृषि को भारी संकट पहुंचने के रुझानों ने 'पूरे विश्व के लिए सुरक्षा खतरे को प्रदर्शित किया है.'

अकबरुद्दीन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दा बनाने से हो सकता है कि लोगों के बीच जागरूकता बढ़े. यह विरोधी को परास्त करने में भी मदद कर सकता है. लेकिन इस मुद्दे को सुरक्षा में तब्दील करने के नकारात्मक पहलू भी हैं.

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उन्होंने कहा कि सुरक्षा उपाय 'समस्याओं के अत्यधिक सैन्यीकरण' की ओर ले जाते हैं, जिसमें असैन्य पहल की जरूरत होती है.

Source : IANS

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