बेनामी संपत्ति पर कस रहा शिकंजा 230 से ज्यादा केस दर्ज, 55 करोड़ की संपत्ति कुर्क
आयकर विभाग ने नोटबंदी के बाद नए बेनामी लेनदेन कानून के तहत अब तक 230 से अधिक मामले दर्ज किए हैं। इसके अलावा लेनदेन अधिनियम के तहत 55 करोड़ रुपए कीमत की संपत्ति कुर्क भी की गई है।
नई दिल्ली:
आयकर विभाग ने नोटबंदी के बाद नए बेनामी लेनदेन कानून के तहत अब तक 230 से अधिक मामले दर्ज किए हैं। इसके अलावा लेनदेन अधिनियम के तहत 55 करोड़ रुपए कीमत की संपत्ति कुर्क भी की गई है।
140 मामलों में कुर्की के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इन मामलों में 200 करोड़ रुपये की संपत्ति शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक 124 मामलों में 55 करोड़ रुपये की संपत्तियां अस्थायी तौर पर कुर्क की गई हैं।
आयकर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कि कुर्क की गई संपत्तियों में बैंक खातों में जमा, कृषि और अन्य जमीन, फ्लैट और आभूषण शामिल हैं। पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद पुरानी करंसी में बेहिसाबी पैसा किसी अन्य के बैंक खाते में जमा न कराने की चेतावनी भी दी थी।
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इसमें कहा गया था कि इस तरह की किसी गतिविधि में बेनामी संपत्ति लेनदेन कानून, 1988 के तहत आपराधिक मामला दायर किया जाएगा। यह चल और अचल संपत्ति दोनों के लिए होगा। देश में इस कानून को लागू करने के लिए आयकर विभाग नोडल एजेंसी है।
एक अधिकारी ने बताया कि विभाग को कुछ ऐसे मामले मिले जिनमें गैरकानूनी तरीके अपनाए गए थे और संदिग्ध कैश को बेनामी खातों या जन धन खातों या फिर डॉर्मेंट अकाउंट्स में जमा कराया गया था। इसके बाद बेनामी लेनदेन कानून के सख्त प्रावधानों के इस्तेमाल का फैसला किया गया।
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आयकर विभाग ने देशभर में उन संदिग्ध बैंक खातों की पहचान का अभियान शुरू किया था जिनमें 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद बड़ी मात्रा में कैश जमा कराए गए थे। अधिकारियों ने बताया कि बेनामी लेनदेन कानून के तहत आयकर अफसरों को जब्ती के साथ-साथ कैश जमा करने वाले और जिनका अवैध कैश है, उन दोनों पर कार्रवाई का अधिकार है।
क्या है बेनामी संपत्ति
बेनामी संपत्ति वह है जो किसी ऐसे व्यक्ति के नाम पर हो जिसने इसकी कीमत न चुकाई हो। यह संपत्ति किसी भी रिश्तेदार के नाम से खरीदी गई हो सकती है। बेनामी संपत्ति चल या अचल संपत्ति या दस्तावेजों के तौर पर हो सकती है। इसमें काले धन के उपयोग की संभावना अधिक होती है और संपत्ति नौकर या दोस्तों के नाम से भी खरीद सकते हैं। किसी रिश्तेदार के नाम खरीदी गई संपत्ति को आयकर रिटर्न में दिखाना ज़रूरी है नहीं दिखाया गया तो उसे बेनामी संपत्ति माना जायेगा।
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