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सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा- नहीं दे सकते कोरोना से हुई मौतों पर 4 लाख का मुआवजा

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कोरोना वायरस के चलते जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को 4 लाख का मुआवजा देने में असमर्थता जाहिर की है.

Updated on: 20 Jun 2021, 11:13 AM

highlights

  • कोरोना से मौत पर मुआवजे पर जवाब दिया
  • सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का हलफनामा
  • 4 लाख का मुआवजा देने में असमर्थता जताई

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ( Central Government ) ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कोरोना वायरस के चलते जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को 4 लाख का मुआवजा देने में असमर्थता जाहिर की है. केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस ( Corona Virus )  से जान गंवाने वालों के परिजनों को मुआवजा देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें 4 लाख का मुआवजा देने में असमर्थता जताई गई है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) को बताया है कि हर किसी कोरोना संक्रमित मरीज की मौत पर मुआवजा देना राज्‍यों के वित्‍तीय सामर्थ्य से बाहर है. 

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केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम को बताया गया है कि केंद्र और राज्य पहले ही आर्थिक दबाव से जूझ रहे हैं, ऐसे में अगर कोविड संक्रमण से मरने वालों के परिवार वालों को 4 लाख रुपये का मुवावजा राज्य सरकार देती है तो स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड का पूरा पैसा इस पर ही खर्च हो जाएगा और राज्य कोविड के आने वाले खतरे के मद्देनजर तैयारी नहीं कर पाएंगे.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक दायर याचिका में ये मांग की गई थी कि कोरोना वायरस के चलते जान गंवाने वाले लोगों के घरवालों को चार लाख का मुआवजा दिया जाए और डेथ सर्टिफिकेट में मौत की सही वजह- कोविड ही दर्ज हो, ताकि मुआवजा मिलने में आसानी हो. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. केंद्र सरकार ने इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कोरोना के चलते जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को 4 लाख का मुवावजा देने में असमर्थता जाहिर की.

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हालांकि सरकार ने इस हलफनामे में ये साफ किया है कि कोविड से मौत के हर केस में डेथ सर्टिफिकेट में मौत की वजह कोविड ही दर्ज होगी, फिर भले ही उस शख्स को पहले से गंभीर बीमारी रही हो. सिवाय उन मामलों के जिनमें मौत की वजह दूसरी हो - जैसे जहर का सेवन, एक्सीडेंट और  हृदयाघात से मौत हुई हो. कोर्ट ने ऐसे मामलों में डेथ सर्टिफिकेट के लिए एक समान नीति पर भी केंद्र से जवाब मांगा था.