कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन के बीच संयुक्त किसान मोर्चा की शनिवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें मोर्चा ने अपने बीते 21 नवंबर के पत्र के संदर्भ में प्रधानमंत्री के तरफ से प्रतिक्रिया की कमी का संज्ञान लिया और सरकार से संवाद प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का भी आह्वान किया है।
किसानों ने 29 नवंबर को होने वाले संसद मार्च को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है। इसके अलावा किसानों ने साफ कर दिया है कि, वह प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र के जवाब का इंतजार करेंगे। इसके बाद 4 दिसंबर को अगली बैठक कर आगे की रूप रेखा तय करेंगे।
बैठक खत्म होने के बाद एसकेएम ने कहा कि, लोकतंत्र में यह चुनी हुई सरकार का कर्तव्य है कि वह विरोध करने वाले किसानों से परामर्श करे और विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करे। तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के बारे में प्रधानमंत्री की घोषणा और कैबिनेट की मंजूरी के बाद मोर्चा ने संसद के लिए ट्रैक्टर मार्च को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उठाये गए छह मांगों को फिर से दोहराया, जिसमें एमएसपी की कानूनी गारंटी, विद्युत संशोधन विधेयक, 2020-2021 के मसौदे को वापस लेने और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021 में किसानों पर दंडात्मक प्रावधानों को हटाना शामिल है।
वहीं आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ झूठे मामलों की वापसी, राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी, किसान आंदोलन के शहीदों के परिवारों को मुआवजा एवं पुनर्वास तथा उनकी स्मृति में सिंघू मोर्चा पर स्मारक निर्माण के लिए भूमि आवंटन करना भी शामिल है।
किसानों ने बैठक के बाद एक बार फिर दोहराया कि, सरकार इन लंबित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बिना किसी देरी के वार्ता प्रक्रिया को फिर से शुरू करे और 4 दिसंबर को होने वाली एसकेएम की अगली बैठक में मोर्चा संसद की कार्यवाही समेत आगे के घटनाक्रमों का संज्ञान लेगा, और आगे की कार्रवाई पर निर्णय लेगा।
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Source : IANS