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भारत के नए मानचित्र के बाद काठमांडू के मेयर ने वृहत नेपाल का मैप लगाया

भारत के नए मानचित्र के बाद काठमांडू के मेयर ने वृहत नेपाल का मैप लगाया

Updated on: 08 Jun 2023, 05:15 PM

काठमांडू:

नए संसद भवन में रखे गए भारत के अखंड भारत मानचित्र को लेकर नेपाल में विपक्षी दलों के के हमले तेज होते जा रहे हैं। काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने जवाबी कदम के रूप में अपने कार्यालय में एक नया ग्रेटर नेपाल का नक्शा लगाया है।

हालांकि नेपाल सरकार इस मुद्दे पर चुप रही, लेकिन सीपीएन-यूएमएल सहित विपक्षी दलों ने उस मानचित्र का विरोध किया है जो हिमालयी राष्ट्र को प्राचीन भारतीय भूभाग के हिस्से के रूप में दिखाता है।

उन्होंने सरकार से भारत के समक्ष इस मामले को उठाने को कहा है।

मेयर शाह ने, जो वर्तमान में अपनी पत्नी के इलाज के लिए बेंगलुरु में हैं, अपनी भारत यात्रा से पहले मानचित्र को अपने कार्यालय में लगाया था।

एक समय नेपाल का भूभाग पूर्व में तीस्ता से लेकर पश्चिम में सतलज तक फैला हुआ था। हालांकि, अंग्रेजों के साथ युद्ध में नेपाल ने अपनी भूमि का एक बड़ा हिस्सा खो दिया।

युद्ध के बाद मेची से तीस्ता और महाकाली से सतलुज तक के क्षेत्रों को स्थायी रूप से भारत में मिला लिया गया था।

नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 4 मार्च 1816 को सुगौली संधि पर हस्ताक्षर किए गए, जिसने नेपाल के क्षेत्र को मेची-महाकाली तक कम कर दिया।

शाह के कार्यालय में ग्रेटर नेपाल मानचित्र में पूर्वी तीस्ता से लेकर पश्चिम कांगड़ा तक के क्षेत्र शामिल हैं जो वर्तमान में भारतीय क्षेत्र हैं।

अब भी मांग की जा रही है कि भारत को वह जमीनें नेपाल को वापस कर देनी चाहिए।

राष्ट्रवादी कार्यकर्ता फणींद्र नेपाल लंबे समय से वृहत्तर नेपाल के लिए प्रचार कर रहे हैं।

संसद में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा ने गुरुवार को कहा कि देश को ग्रेटर नेपाल का नक्शा भी आधिकारिक तौर पर प्रकाशित करना चाहिए।

थापा ने कहा, यदि कोई देश सांस्कृतिक मानचित्र प्रकाशित करता है तो नेपाल के पास ग्रेटर नेपाल का मानचित्र प्रकाशित करने और उस पर विचार करने का अधिकार भी है। यदि नेपाल नए मानचित्र को प्रकाशित करने के बारे में सोचता है, तो भारत को उस पर आपत्ति नहीं करनी चाहिए। बल्कि उसे इसे स्वीकार करना चाहिए।

चल रहे विवाद के बीच, प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड बुधवार को अखंड भारत मानचित्र पर भारत के बचाव में आए। उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है।

नेशनल असेंबली के एक संबोधन में, प्रचंड ने कहा कि उन्होंने अपनी हाल ही में संपन्न भारत यात्रा के दौरान इस मुद्दे को उठाया था।

उन्होंने कहा, हमने नए भारतीय मानचित्र का मुद्दा उठाया, जिसे संसद में रखा गया है। हमने एक विस्तृत अध्ययन नहीं किया है, लेकिन जैसा कि मीडिया में बताया गया है, हमने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। लेकिन इसके जवाब में, भारतीय पक्ष ने कहा कि यह एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मानचित्र था न कि राजनीतिक। इसे राजनीतिक तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए। इसका अध्ययन करने की आवश्यकता है। लेकिन मैंने इसे उठाया है।

वर्तमान में नेपाल के साथ कालापानी, लिपु लेख और लिम्पियाधुरा के क्षेत्रों में सीमा विवाद है। ये वर्तमान में भारतीय क्षेत्र के अंतर्गत हैं, लेकिन नेपाल भी इन पर दावा करता है।

भारतीय दावों के जवाब मेंनेपाल सरकार ने 2020 में अपने के हिस्से के रूप में क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था।

इस विवाद ने द्विपक्षीय संबंधों को सर्वकालिक निचले स्तर पर ला दिया था।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.